BJNN SPL -विभाग की नजर में किसान हैं कुणाल, कुणाल हैं हैरान, ये कैसा घोटाला

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ANNI AMRITA

कुणाल षाड़ंगी किसान हैं जी हां भारत सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत कृषि , कारपोरेशन एवं कृषक कल्याण विभाग द्वारा जारी पीएम किसान सम्मान निधि सूची में कुणाल षाड़ंगी को न सिर्फ योजना का लाभार्थी किसान बताया गया है बल्कि उनके जेंडर को female बताया गया है।अब कुणाल षाड़ंगी कौन है ये बताने की जरूरत नहीं फिर भी हम परिचय करा देते हैं कि वे पूर्व विधायक और झारखंड भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हैं।कोरोना काल में ट्वीटर और अन्य माध्यमों से लगातार जन सेवा में जुड़कर एक अलग मुकाम बना चुके कुणाल इस ताजा प्रकरण से आहत हैं और उन्होंने सरकार, प्रशासन और तंत्र को खुली चुनौती दी है कि वे दिखा दें कि कभी उन्होंने पीएम किसान सम्मान निधि के लिए कभी कोई आवेदन दिया हो।दरअसल कल दैनिक भास्कर में इस संबंध में एक्सक्लूसिव रिपोर्ट छपने के बाद बवाल मच गया और कुणाल षाड़ंगी से सवालों की बौछार शुरू हो गई।उन्होंने ट्वीटर और फेसबुक के माध्यम से सिस्टम पर कड़ा प्रहार करते हुए पूछा कि जब मां के साथ उनका ज्वाईंट अकाऊंट लाभुक की श्रेणी में नहीं आता है और इनकम टैक्स पेई होने की वजह से खाता इनएक्टिव है फिर इस इनएक्टिव खाते में पैसे आए कैसे और अब बंद है तो उसकी सूचना कहां है?कुणाल ने बिहार झारखंड न्यूज नेटवर्क से बातचीत करते हुए सरकार से पूछा है वे इस अकाऊंट के प्राईमरी होल्डर भी नहीं हैं तो आखिर ये खेल क्या चल रहा है। उन्होंने इसकी प्रशासनिक जांच की मांग की है।

खुद पर उठे सवालों के बीच सोशल मीडिया, यू ट्यूब मीडिया के माध्यम से कुणाल षाड़ंगी ने अपना पक्ष रखते हुए इस मामले को न सिर्फ गंभीर बताया बल्कि साईबर fraud की आशंका जाहिर की है। कुणाल का कहना है कि जरूरतमंद के खातों में पैसे आने की बजाए सामर्ध्यवान के खाते में पैसे पहुंचनना किसान और सामर्थ्यवान दोनों के सम्मान के साथ खिलवाड़ है।जब आवेदन ही नहीं दिया तो दस्तावेज कैसे चले गए?कुणाल षाड़ंगी ने कुछ यू़ं सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों में प्रतिक्रिया दी–

इस #हास्यास्पद और गंभीर विभागीय गलती के लिए ज़िम्मेदार राजधानी से लेकर स्थानीय अंचल तक बैठे चंद भ्रष्ट विभागीय कर्मचारियों की भूमिका की जाँच की माँग राज्य सरकार से करता हूँ।

आधार कार्ड नंबर के ग़लत इस्तेमाल और 😂Gender भी बदल दिया।IT payee होने के कारण beneficiary status भी #inactive है। ऐसे में बिना verification के कैसे पूरे राज्य में हज़ारों लाभुकों का चयन हुआ? Inactive अकाउंट में पैसे भेजना भी बड़ी #हिम्मत का काम है।

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न ही कभी #आवेदन लिया गया। न राशि भेजने/ न ही राशि बंद करने के समय कोई सूचना। #cyber_fraud व #Aadhaar का ग़लत इस्तेमाल कर राशि को कहीं divert तो नहीं कर रहे हैं चंद विभागीय लोग? राज्य में हज़ारों लोग इस फर्जीवाडे के शिकार हैं।#झारखंड_पुलिस जाँच करे।

#चमचों से अनुरोध कुछ और try करें अगली बार आरोप लगाने के लिए। माफ़ी चाहूँगा स्थानीय #jokers की हरकतें अब भी बहुत आगे हैं।


उपरोक्त प्रतिक्रिया की अंतिम लाईनों पर चर्चा इसलिए क्योंकि मामला जैसे प्रकाश में आया इसे राजनीतिक रंग देकर कई लोग सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों में कुणाल षाड़ंगी पर आरोपों की बौछार करने लगे जिस पर कुणाल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्हें जोकर कहा क्योंकि उन्होंने मामला समझा ही नहीं।अगर मामला ईमानदारी से समझते तो कुणाल षाड़ंगी और उनकी मां विनी षाड़ंगी को धन्यवाद देते कि उनदोनों की सक्रियता की वजह से ये फर्जीवाड़ा सामने आया।आप पूछेंगे कैसे, वो ऐसे कि विनी षाड़ंगी ने जब अपने अकाऊंट में पैसे आए देखे तो बैंक को सूचित किय।पिछले एक साल के दौरान उन्होंने इस सिलसिले में बैंक से जानने की कोशिश की कि आखिर किस अकाऊंट से पैसा आ रहा है। चूंकि पैसा इंटरनेट के माध्यम से आता है तो किस अकाउंट से आया ये पता नहीं चला।जब कुणाल षाड़ंगी के चाचा द्विजेन षाड़ंगी के भी अकाऊंट में पैसे आए तब सबको लगा कि जरुर कुछ गड़बड़ है।इससे पहले कि वे कुछ समझते कोरोना के सेकेंड वेव में बदलते हालात में कहीं ये बातें दब गईं ।

ये उनकी सक्रियता का फल है कि मामला उजागर हुआ है और दैनिक भास्कर बधाई का पात्र है कि उसने बड़े पैमाने पर इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया।दैनिक भास्कर ने जब इस सिलसिले में कुणाल षाड़ंगी और उनके परिवार से पूछताछ की तो उनलोगों ने खुलकर तमाम जानकारियां दीं। दैनिक भास्कर के सवालों से परिवार की उस आशंका को बल मिला जिसके तहत वे लोग बैंक से इस सिलसिले में जानना चाह रहे थे कि पैसे आ कहां से रहे हैं। दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में सिर्फ कुणाल षाड़ंगी का जिक्र नहीं किया बल्कि एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में ये बताया है कि कुणाल षाड़ंगी समेत कुल 18,326 लोग हैं जिनके खाते में लाभुक किसानों के पैसे चले गए।यानि इतने ही लाभुक किसान अपने हक से वंचित रह गए।इसके खुलासे का पूरा श्रेय दैनिक भास्कर को जाता है और दैनिक भास्कर के इस अनुसंधान और उठते सवालों पर भरपूर सहयोग करते हुए कुणाल षाड़ंगी ने मामले को उजागर करने में सकारात्मक भूमिका निभाई।हालांकि अखबार ने उन पर भी सवाल उठाए लेकिन कुणाल ने दावा किया कि उन्होंने या उनके परिवार के किसी सदस्य ने कभी इस योजना के लिए आवेदन नहीं दिया बल्कि उनकी मां विनी षाड़ंगी अपने खाते में पैसे आता देख एक सक्रिय नागरिक की भूमिका निभाते हुए बैंक से पूछताछ करती रही।

कुणाल षाड़ंगी ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना की राशि सम्मानपूर्वक असली हकदारों को वापस किए जाने की सरकार से मांग की है।अब आईए आपको बताते हैं कि मामला क्या है ताकि इस विषय पर व्यर्थ की राजनीति की बजाए भ्रष्टाचार के इस मामले के खुलासे की सभी एक स्वर में मांग कर सके क्योंकि ये कहीं न कहीं उसी विभागीय भ्रष्टाचार का एक उदाहरण दिख रहा है जिसने सालों से सरकारी तंत्र को जकड़ रखा है।

मामला—–
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दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 30 लाख किसानों में से लगभग 15 लाख किसान इस योजना के दायरे में हैं और कुणाल षाड़ंगी समेत कुल 18, 236 गैर किसानों के खाते में ये राशि चली गई है.कुणाल षाड़ंगी ने बताया है कि बहरागोड़ा सेंट्रल बैंक में मां विनी षाड़ंगी के साथ उनके ज्वाईंट अकाऊंट में अब तक 12 हजार की राशि आ चुकी है . कुणाल ने बताया कि उन्होंने या उनकी मां ने योजना के लिए किसी भी प्रकार का आवेदन नहीं दिया फिर भी पैसे खाते में आ गए .कुणाल ने इस बात पर हैरानी जताई कि योजना की सूची में उनके जेंडर को फीमेल दिखाया गया है जिससे साबित होता है कि पूरे मामले में कहीं न कहीं तकनीकी खामियां बरती गई हैं जो या तो जानबूझकर किसी खास फायदे के लिए की गई है या फिर ये घोर लापरवाही है. सरकार इसकी गंभीरता से जांच करवाए कि चूक कहां और किस स्तर पर हुई है. कुणाल षाड़ंगी ने आशंका जताई है कि आधार का गलत इस्तेमाल कर विभागीय मदद से राशि को डाईवर्ट करने का साईबर फ्रॉड का भी ये खेल हो सकता है जो चिंता का विषय है. हैरानी की बात ये है कि अब राशि नहीं आ रही है तो उस संबंध में कोई सूचना भी नहीं है.कुणाल ने मांग की है कि खास टीम गठित कर लाभुकों की सूची तैयार करनेवाले पोर्टल और विभागीय अधिकारियों से इस संबंध में पूछताछ शुरू कर आगे गंभीरता से जांच की जाए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए क्योंकि प्रथम दृष्ट्या ये बहुत बड़ा घोटाला है जो किसानों के सम्मान के साथ साथ उन लोगों के सम्मान के साथ भी खिलवाड़ है जिन्होंने इस योजना के लिए आवेदन ही नहीं दिया.

पीएम किसान सम्मान निधि योजना के बारे में
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–इस योजना के तहत किसानों को साल में छह हज़ार रूपये दिए जाते हैं. नियम ये है कि किसानों को इसका लाभ तब मिलेगा जब उनके पास पांच एकड़ तक ही ज़मीन हो , उससे ज्यादा की ज़मीन वालों को लाभ नहीं मिलेगा.इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करनेवालों को इसका लाभ नहीं मिलता है.संवैधानिक पदों पर आसीन लोग या पूर्व में रहे लोग भी इस योजना के लाभार्थी नहीं हो सकते.

कुणाल ये षाड़ंगी ने पूछा है कि आखिर लाभुकों की किस आधार पर लिस्ट बनाई गई और जब अंतिम रूप से मुहर लगी तो क्यों इस पर ध्यान नहीं गया.कुणाल ने इस बात पर अफसोस जताया कि जो वास्तव में हकदार किसान हैं उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं है, उन तक ये योजना पहुंच ही नहीं पाई और 18,236 गैर किसानों के खाते में कुल 13.45 करोड़ पहुंच गए जो एक बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रहा है.

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