जमशेदपुर।
वीमेंस कॉलेज में 26 नवंबर को संविधान दिवस के अवसर पर एक वेबीनार का आयोजन किया गया। जिसमें बतौर मुख्य वक्ता कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर डॉ अशोक कुमार झा ने भारतीय संविधान की आत्मा को व्यावहारिक तरीके से समझाया। उन्होंने बताया कि संविधान एक आत्म-अनुशासन है जो भारतीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवश्यक है। जम्मू कश्मीर और लद्दाख का मसला हो, तीन तलाक का मसला हो या नागरिकता संशोधन अधिनियम हो- इन सभी कदमों को संविधान में मौजूद बेहतर समाज के निर्माण की संकल्पना और अखंड राष्ट्रीय चेतना के विकास के लिहाज से उठाया गया। उन्होंने कहा कि हम सभी को अपने संविधान की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए। विशिष्ट वक्ता कोल्हान विश्वविद्यालय के पीआईओ और वोकेशनल कोऑर्डिनेटर डॉ संजीव आनंद ने कहा कि संविधान में निहित प्रावधान वस्तुतः राज धर्म है।यह विश्व का सबसे बड़ा हस्तलिखित संविधान है जिसे उस समय के प्रसिद्ध कैलीग्राफर प्रेमनाथ ने लिखा था। दुनिया में अपने किस्म का यह दुर्लभ प्रयास है। कार्यक्रम की मुख्य आयोजक कोल्हान विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति व वीमेंस कॉलेज की प्राचार्या प्रोफेसर डॉ शुक्ला महांती ने कहा कि संविधान की खूबसूरती इसमें है कि यह समाज के आखिरी व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा की गारंटी देता है। बहुमत वाले वर्ग का यह दायित्व है कि अल्पमत वालों के हितों की रक्षा करे। हम अधिकार के साथ-साथ कर्तव्यों का पालन करें इसकी हिदायत हमारा संविधान देता है। इसलिए जो लोग भारत को प्रेम करते हैं, राष्ट्र को प्रेम करते हैं, उन्हें संविधान की भी इज्जत करनी चाहिए और हमें हमारा संविधान आत्मसात करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन और संयोजन राजनीति विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ सोनाली सिंह ने किया। तकनीकी सहयोग के. प्रभाकर राव, तपन कुमार मोदक ज्योति प्रकाश महंती ने किया।
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