जमशेदपुर – बेल्डीह चर्च स्कूल की अभियुक्त प्रिंसिपल और कर्मियों पर चार महीनों बाद भी एफआईआर दर्ज़ नहीं होने पर भाजपा जिला प्रवक्ता अंकित आनंद की ट्वीट पर कोल्हान डीआईजी ने लिया संज्ञान।
जमशेदपुर।
बेल्डीह चर्च स्कूल की अभियुक्त प्रिंसिपल और कर्मियों पर चार महीनों बाद भी एफआईआर दर्ज़ नहीं होने पर भाजपा जिला प्रवक्ता अंकित आनंद की ट्वीट पर कोल्हान डीआईजी ने संज्ञान लिया ।डीआईजी राजीव रंजन सिंह ने जमशेदपुर एसएसपी को मामले में न्यायसंगत कार्रवाई का निर्देश दिया। विदित हो कि दो छात्रों के बीच हुए विवाद के बाद गंभीर रूप से ज़ख्मी सांतवी कक्षा के छात्र रिशांत ओझा के परिजनों को स्कूल की प्रिंसिपल ने वार्ता के लिए बुलाकर केस वापस लेने का दबाव बनाया था। इसी दौरान स्कूल के कुछ कर्मियों ने अशोभनीय धार्मिक टिप्पणियां की थी जिसके बाद मामला बिगड़ गया था और बात धक्का मुक्की पर आन पड़ी थी। घटना के बाद स्कूल प्रबंधन के बचाव में तत्कालीन बिष्टुपुर थाना प्रभारी राजेश सिन्हा ने अंकित की ओर से आजसू प्रवक्ता अप्पु तिवारी द्वारा किये गये लिखित शिकायत पर एफआईआर दर्ज़ नहीं किया था, वहीं स्कूल की प्रिंसिपल के लिखित शिकायत पर छात्र के परिजनों पर एफआईआर दर्ज़ कर लिया गया। थाना प्रभारी की एकपक्षीय कार्रवाई और रिश्वतखोरी का आरोप लगाते हुए बाद में भाजपा-आजसू नेताओं द्वारा मामले में एफआईआर दर्ज़ करने को लेकर ऑनलाइन आवेदन दिया गया था जिसे एसएसपी के निर्देश के बावजूद तत्कालीन बिष्टुपुर थाना प्रभारी राजेश प्रकाश सिन्हा ने दर्ज़ नहीं किया था। फ़िलहाल राजेश प्रकाश सिन्हा चर्चित होटल एल्कोर प्रकरण में घूसखोरी और कर्तव्यहीनता के आरोप में निलंबित चल रहे हैं। बेल्डीह चर्च स्कूल के अभियुक्तों पर एफआईआर दर्ज़ करने को लेकर अंकित आनंद की ओर से कई बार ट्वीट के माध्यम से मामले को डीजीपी के संज्ञान में लाया गया। झारखंड पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज़ करने को लेकर कई मौकों पर ट्विटर पर ही जमशेदपुर पुलिस को निर्देशित किया था, लेकिन घटना के चार महीनों बाद भी अबतक एफआईआर दर्ज़ नहीं हुई है।
इसपर न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए भाजपा जिला प्रवक्ता अंकित आनंद ने सोमवार को ट्वीट कर झारखंड पुलिस और कोल्हान डीआईजी से सहयोग का आग्रह किया। कोल्हान डीआईजी ने मामले में आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया है। अंकित आनंद ने कहा कि जाँच के नाम पर महीनों मामले को लटकाने रखना थाना प्रभारी की कर्तव्यहीनता और स्वेच्छाचारिता दर्शाती है। संज्ञेय मामलों में पहले एफआईआर दर्ज़ होनी चाहिए फ़िर जाँच को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
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