जमशेदपुर -झारखंड के प्रवासी मजदूरों को नही मिल रही सहायता एप्प से मदद, भाजपा ने लगाया संवेदनहीनता का आरोप।
■ संकट काल में भी आरोप प्रत्यारोप की राजनीति से बाज नही आ रही है प्रदेश की सरकार: दिनेश कुमार
■ एप्प डाऊनलोड कर आर्थिक मदद की आस में बैठे हैं प्रवासी मजदूर।
■ जटिल एप्प के कारण आर्थिक सहायता तो दूर की बात, मजदूरों को अपनी जानकारी भी दर्ज करने में हो रही परेशानी।
जमशेदपुर: देशव्यापी लॉकडाउन के बीच फंसे झारखंड प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों व विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता मुहैया कराने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा लांच किए गए सहायता मोबाइल एप्प पर कोई मदद नही मिल रही है। एप्प के लांच होने के साथ ही लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मंगलवार को भाजपा जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष दिनेश कुमार ने प्रेस-विज्ञप्ति जारी कर सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए सरकार की संवेदनहीनता का आरोप लगाया। महानगर अध्यक्ष ने एप्प को बेहद जटिल बताते हुए इसके उपयोग में आ रही समस्याओं को बिंदुवार सामने रखा व कुछ मांगे सरकार के समक्ष रखी है।
सहायता एप्प पर कुछ तकनीकी खामियाँ निम्न है –
1. गृह जिले के नाम को चयनित करने के बाद गृह प्रखंड के नाम आने में जीपीएस की समस्या ।
2. पेज 1 पर सत्यापित करने के स्थान पर जीपीएस की समस्या आना।
3. मोबाइल नंबर सत्यापन पर OTP का काफी विलंब से आना या नही भी आना।
4. आधार कार्ड का फोटो लेने पर “चेहरा नही डिटेक्ट हुआ …पुनः प्रयास करे” जैसे एरर दिखाना ।
5. आधार की फ़ोटो लिए जाने पर पुनः पहले पेज पर वापस भेज देना ।
6. फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 22.04.2020 तक है, लेकिन झारखंड सरकार के कल शाम तक के आंकड़ों के अनुसार 7.5 लाख झारखंड के मज़दूरों की संख्या के विरुद्ध सिर्फ 2200 लोगों ने रजिस्टर किया है ऐसे में रेजिस्ट्रेशन की तिथि को सुविधानुसार बढ़ायी जाए।
7. इसके अतिरिक्त, हाल के दिनों में सहायता एप्प को डाऊनलोड करने में भी तकनीकी समस्या लागातर सामने आ रही है। जिससे जरूरतमंदों द्वारा एप्प डाऊनलोड भी नही हो रही है।
8. जिनके पास स्मार्ट मोबाइल नही उन्हें कैसे मिलेगी मदद।
9. वेबसाइट पर आने वाले सर्वर से प्राप्त एरर संदेशों को लेकर IT विशेषज्ञ लोगों का कहना है कि डेटा सुरक्षा के मद्देनजर ऐसे एरर मैसेज यूजर को नही दिखाए जाने चाहिए।
10. इससे पहले भी सरकार द्वारा जारी गूगल डॉक्स वाले फैसले ने फंसे लोगों को भ्रमित किया।
महानगर अध्यक्ष दिनेश कुमार ने कहा कि लॉक डाउन हुए करीब करीब 30 दिन हो गए है। इस दौरान देश के विभिन्न राज्यों ने दूसरे राज्यों में फंसे अपने मज़दूर भाइयों का एवं विद्यार्थियों की सुध लेकर उनतक सहायता पहुँचा रही है। वहीं, दूसरी ओर झारखंड सरकार के पास नीति और नियत का स्पष्ट आभाव दिख रहा है। वो इस संकट काल में भी आरोप प्रत्यारोप की राजनीति से बाज नही आ रही है। दूसरे राज्यों में फॅसे करीब 8 लाख मज़दूर भाइयों के लिए सिर्फ और सिर्फ कागज़ पर खोखली योजना एवं उस हवा-हवाई योजनाओं का बड़े विज्ञापन पर ही कार्य किया जा रहा है। लगातार मजदूरों के फ़ोन और सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोग संपर्क कर रहे है उन सबको यथा सम्भव मदद करने का प्रयास किया जा रहा है, ये संवेदनहीन सरकार ने उनकी संवेदनाओं का मखौल उड़ा कर उनके लिए बनी तमाम योजनाओं को सिर्फ अफसरशाही के भेंट छोड़ दिया है। हेल्पलाइन नम्बर हो, 181 हो या अब 5 दिन पूर्व लांच हुई सहायता एप्प हो, सभी प्रयास सिर्फ कागज़ पर ही दिख रहे है। पड़ोस के राज्य अपने मज़दूरों तक निरंतर सहायता पहुँचा रही है परंतु हमारी सरकार अभी भी लाल फ़ीताशाही के भरोसे बैठी हुई है। उन्होंने उपरोक्त समस्याओं पर उचित संज्ञान लेते हुए प्रवासी मजदूरों के जल्द बेहतर मदद की माँग की है।
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