श्रीराम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा व श्रीराम कथा के सफल आयोजन पर पूर्व सीएम सह कमिटी के मुख्य संरक्षक श्री रघुवर दास जी का सम्बोधन:

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जमशेदपुर।

मंदिर परिसर स्थित नवनिर्मित सिद्धेश्वर धाम में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा समारोह पवर्क संपन्न हो गई इसके लिए हम अपने अराध्य भगवान श्री राम के अभारी है। जैसा कि आप जानते हैं कि भगवान श्री राम की महिमा अपरमपार है। प्रभ राम के नाम की महत्व का चर्चा करते हुए महाकवि मैथिलीशरण गुप्त ने महाकाव्य ‘साकेत’ के प्रारंभ में कहा है:
राम तुम्हारा नाम स्वयं काव्य है,
कोई कवि बन जाए सहज संभाव्य है।’
जमशेदपुर के श्री राम भक्त श्रद्धालुओं, मंदिर कमेटी और मेरी ओर से प्रभु राम को कोटिश: प्रणाम है, जिनके प्रताप से यह समारोह संपन हुआ। राम कृपा बिना कुछ भी संभव नहीं है।

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संगीतमय राम कथा एवं प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के पूर्णाहुति वेला पर हम रामकथा व्यास मानस मर्मज्ञ परमपूज्य श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज जी को जीवन पर्यंत नहीं भूल सकते हैं पिछले एक सप्ताह में इन्होंने अपने मुखारविंद से नाम महिमा. कथा महिमा, शिव सती प्रसंग, शिव-
पार्वती विवाह, राम जन्मोत्सव, बाल लीला, अहिल्या उद्धार, सीता राम विवाहोत्सव, राम वनवास, केवट प्रसंग, भरत मिलाप, सबरी प्रसंग से लेकर सुंदरकांड और श्री राम के राज्याभिषेक उत्सव तक की जो विद्वतापूर्वक प्रस्तुति की वह अद्वितीय है। मैं परमपूज्य भारद्वाज जी को
सादर प्रणाम करता हूं, उनका सादर अभिवादन करता हूं और उनके प्रति सादर अभार प्रकट करता हूँ। मैं समझता कि शायद आपके बिना हमारा यह अनुष्ठान अधूरा रह जाता। राम कथा तो हमने पहले भी पढ़ा था, लेकिन जिस तरह आपने हमें राम कथा रसपान कराया है, वह अनूठा है।पहले कभी इस तरह राम कथा सुनने का अवसर नहीं मिला। हम आचार्य विजय प्रकाश महाराज जी के प्रति आभार प्रकट करते हैं, जिनके मंत्रोचारण से राम दरबार का प्राण-प्रतिष्ठा समारोह प्रारंभ हुआ और पूर्णाहुति संपन्न हुई। हम समस्त जमशेदपुर वासियों की तरफ से राम भक्तों की ओर से महाराज जी का चरण स्पर्श करते हैं और इस पुनित कार्य के लिए उनके प्रति कोटि: अभिनंदन करते हैं हम आपके ऋणि हैं।हम जमशेदपुर की राम भक्त जनता, महिलाएं पुरुष, युवा से आभारी हैं, जिनके सहयोग से यह समारोह संपन्न हुआ। कलश यात्रा से लेकर नगर भ्रमण में जिस उत्साह से आपने
भाग लिया उसके लिए धन्यवाद देना कम होगा आपका यह योगदान नमस्य है। आपको यह भक्ति भावना अद्वितीय है, सराहनीय है। हम आपके बहुत आभारी हैं।
हम एक बार फिर राम कथा मर्मज्ञ परमपूज्य भारद्वाज जी, आचार्य विजय प्रकाश महाराज जी, जमशेदपुर के राम भक्त अनुरागियों, समारोह के आयोजन में लगे सभी स्वयंसेवकों के अलावा मंदिर निर्माण कार्य में योगदान देने वाले हर व्यक्तियों का तहेदिल से आभार प्रकट करते
हैं। अंत में महाकवि तुलसीदास की इस चौपाई से अपनी बात को बिराम देता हूं-

सियाराम मय सब जग जानि,
करहुँ प्रणाम जोरि जुग पानि।

जय सियाराम।।

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