जमशेदपुर -जो सबको अपनी ओर आकर्षित करें वही हुए कृष्ण ।* 

100
AD POST
जमशेदपुर।
आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से आनंद मार्ग जागृति गदरा रहरगोड़ा के प्रांगण मे 3 घंटे का बाबा नाम केवलम अखंड कीर्तन, नारायण भोज एवं 50 जरूरतमंदों के बीच छाता वितरण किया गया  आचार्य कल्याणमित्रानंद  अवधूत ने भक्तगण को संबोधित करते हुए कहा कि आध्यात्मिक साधना ही कुशाग्र बनने की साधना है । उन्होंने अंग्रेजी के दो शब्द स्पिरिचुअलिज्म और स्पिरिचुअलिटी का अंतर समझाते हुए कहा कि भूत प्रेत संबंधित विद्या को स्पेरिचुअलिज्म कहते हैं और अध्यात्मिक साधना संबंधी ज्ञान को स्पिरिचुअलिटी कहा जाता है।
 अध्यात्मिक साधना का आधार या आरंभिक बिंदु नैतिकता है और उसका गंतव्यबिंदु या लक्ष्य है परमा संप्राप्ति। नैतिकता दो प्रकार के हैं यम और नियम। यम- पांच हैं -अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य एवं अपरिग्रह। नियम भी पांच है- शौच, संतोष, तप ,स्वाध्याय एवं ईश्वर प्रणिधान ।
साधना के गंतव्यबिंदु पर श्री कृष्ण विराजमान है। आचार्य जी ने कृष्ण का अर्थ समझाते हुए कहा कि वह सत्ता जो सबको अपनी ओर को आकृष्ट करता है अथवा सबों का अस्तित्व जिस पर निर्भर है वही कृष्णहै।
 उन्होंने कहा कि साधु वही है जो अपने प्राण को जितना प्यार करता है दूसरे भी अपने जीवन को उतना ही प्यार करते हैं इस बात को स्वीकार  करता है वही हुए साधु। नैतिकता में प्रतिष्ठित व्यक्ति को ही साधु कहा जाएगा। अध्यात्मिक साधना के लिए मानसिक देह को शुद्ध करना पड़ता है। खानपान की शुद्धि आवश्यक है एवं शुभ कर्म आवश्यक है।उन्होंने भगवान सदाशिव के सफलता के गुप्त सोपान- विश्वास, श्रद्धा, गुरु पूजा, समताभाव, इंद्रिय निग्रह ,प्रमिताहार विस्तृत व्याख्या की।उचित व्यवहार, गलत चिंतन का निषेध, श्वास श्वास- प्रश्वास पर नियंत्रण अध्यात्मिक साधना से ही संभव है।ध्यान के दो भाग हैं भावध्यान एवं अनुध्यान।केवल परम पुरुष का भाव लेना चाहिए ।ज्ञान योग, कर्म योग, व भक्ति योग का सहारे   गुरु चक्र में गुरु का ध्यान कर समाधि प्राप्त करना मनुष्य के जीवन का लक्ष्य है।
AD POST

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More