रांची, 5 जून। पिछले 15 वर्षों के दौरान व्यापक अभियान चलाकर दामोदर नदी को औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त करानेवाले पर्यावरणविद और राज्य सरकार में मंत्री सरयू राय झारखंड में वायु प्रदूषण के खिलाफ मुहिम आरंभ करने जा रहे हैं। आगामी 12 जून को गंगा दशहरा के अवसर पर आयोजित होने वाले दामोदर महोत्सव के बाद श्री राय राज्य भर से पर्यावरण कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाने जा रहे हैं, जिसमें वायु प्रदूषण के खिलाफ अभियान की रणनीति तय की जाएगी। आज युगांतर भारती नेचर फाउंडेशन और दामोदर क्षेत्र विकास ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित एक संगोष्ठी में सरयू राय में कहा कि आज दुनिया में सबसे अधिक चर्चा वायु प्रदूषण को लेकर हो रही है। भारत की सरकार ने भी नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम शुरू किया है, जिसके तहत राज्यों को वायु प्रदूषण की रोकथाम के उपायों के लिए केंद्र सरकार की ओर से आर्थिक मदद भी दी जा रही है। मंत्री ने कहा कि झारखंड में अब तक वायु प्रदूषण के नियंत्रण की दिशा में कोई काम नहीं हुआ है।।वर्तमान में देखें तो सिर्फ धनबाद का नाम वायु प्रदूषण के क्षेत्र में आता है, लेकिन इसका कारण यह है कि टाटा कंपनी द्वारा वहां एक प्रदूषण मापक यंत्र लगाया गया है, इसलिए वहां का प्रदूषण का स्तर रिकॉर्ड हो जाता है, जबकि खलारी, पिपरवर, डकरा जैसे कोलियरी इलाकों और राइस मिल तथा स्पंज आयरन प्लांट वाले इलाकों में इस तरह के वायु गुणवत्ता की माप की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण वहां के आंकड़े सामने नहीं आ पाते हैं। लेकिन असलियत में वायु प्रदूषण का स्तर झारखंड में काफी अधिक है। वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए पर्यावरण कार्यकर्ताओं को सरकार पर दबाव डालना होगा। दामोदर के संरक्षण की चर्चा करते हुए मंत्री ने कहा कि लगातार प्रयासों से दामोदर में औद्योगिक प्रदूषण पर काबू पा लिया गया है। लोगों में जागरूकता बढ़ी है, लेकिन अभी भी शहरों और कालोनियों से जलमल की निकासी नदियों में की जा रही है। भारत सरकार ने नगर पालिकाओं को काफी पैसा दिया है। उस पैसे का इस्तेमाल सीवरेज प्लांट बनाने में होना चाहिए। इसके लिए दबाव बनाया जाएगा।
मंत्री ने कहा, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड देश का सबसे कमजोर प्रदूषण बोर्ड है। इसका कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष एवं सदस्य सचिव नहीं है। वन एवं पर्यावरण विभाग के अधिकारियों को प्रदूषण बोर्ड का प्रभार दे दिया जाता है। दोनों पद एक-दूसरे के विपरीत प्रकृति के हैं। प्रदूषण बोर्ड की प्रयोगशाला काम नहीं करती। प्रदूषण बोर्ड ने टाटा कंपनी के साथ समझौता किया है, जिसके सहयोग से प्रदूषण नापने की मशीन लगाई जाएंगी। जब सरकार के पास पैसा है, तो प्रदूषण बोर्ड प्रदूषक कंपनियों के साथ समझौता क्यों कर रहा है, यह भी विचार का विषय है।
मंत्री ने कहा कि लोगों को जागरूक होकर जगह-जगह समितियां बनाकर, कार्ययोजना बनाकर काम करने की जरूरत है, तभी दामोदर की तरह स्वर्णरेखा और वायु प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। आज के कार्यक्रम में डॉक्टर सूर्यमणि सिंह, मनोज सिंह, अंशु शरण, आशीष शीतल, समीर सिंह, गोविंद मेवाड़, कमल भगत, हरेन ठाकुर, रामानुज, डॉ ज्योति प्रकाश, तपेश्वर केसरी, राकेश कुमार सिंह, प्रवीण सिंह आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।
Comments are closed.