जमशेदपुर।
आनंद मार्ग प्रचारक संघ का गदरा ब्लॉक का ब्लॉक स्तरीय सेमिनार संपन्न इस सेमिनार के ऑर्गेनाइजर देवराज दादाजी एव ट्रेनर सुनील आनंद थे सुनील आनंद ने कहां की” प्रज्ञा सम्पद” विषय की चर्चा करते हुए कहा कि दैहिक सम्पद से बड़ा है मानसिक सम्पद और मानसिक सम्पद से बड़ा और सर्वश्रेष्ठ है प्रज्ञा सम्पद और आत्मज्ञान। चित्त की परिधि से अहं की परिधि अधिक हो पड़ने पर उस क्षेत्र में चित्त वर्जित अहं के परिशिष्ठांश को बुद्धि कहा जाता है।बुद्धि वह होती है जो यथार्थ निर्णय देने वाली हो ।जब बुद्धि सजग हो तो विवेक जागता है ,विवेक के परिपक्व होने पर वैराग्य से प्रज्ञा -प्रखर ज्ञान का उदय होता है ।
जब प्रज्ञा परिपक्व होती है तो ऋतुम्भरा प्रज्ञा का उदय होता है – जो ज्ञान की उच्चतम एवं शुद्धतम अवस्था है। इस अवस्था को पाने के लिए पंचकोष की साधना ,जप क्रिया और ध्यान क्रिया निष्ठा व श्रद्धा से नियमित होगा। अंतर में विभिन्न पेड़-पौधों की औषधीय महत्व के विषय में बताया गया एवं लोगों के बीच औषधीय पौधे भी वितरित किए गए
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