जमशेदपुर।
दक्षिण भारत के मंदिरों में प्रभु की आराधना स्वरूप किया जाने वाला नृत्य है भरतनाट्यम। सुर, ताल और भाव के सम्मिश्रण के साथ पद, हस्त, नेत्र और गर्दन के संचालन का अद्भुत संयोजन इस नृत्य का आकर्षण है। भाषा से परे सिर्फ अनुभूति से ही इसका आनंद लिया जाना संभव है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण रविवार शाम माइकल जॉन सभागार में आयोजित भरतनाट्यम की प्रस्तुति से सजे कार्यक्रम अरंगेत्रम में देखने को मिला। अर्पण डांस अकादमी , जमशेदपुर के इस कार्यक्रम में संस्था की नृत्यांगना 15 वर्षीय व कारमेल की छात्रा सुश्री अनन्या दत्ता ने जता दिया कि उनकी कितनी अच्छी तैयारी है। दो चरणों में हुए इस कार्यक्रम के पहले चरण में भरतनाट्यम के सरल रूप की प्रस्तुति दी गई जबकि दूसरे चरण में अनन्या ने भरतनाट्यम की जटिलता को बड़ी निपुणता से प्रस्तुत किया I
अनन्या ने सुंदर तालमेल के साथ नृत्य के रूप को कलात्मक कुशलता से निखारा तो अपना व्यक्तिगत नृत्य कौशल्य भी सुंदरता के साथ अभिव्यक्त किया। उनके नृत्य में सुविचारित कल्पनाशीलता भी थी और लयात्मक पद संचालन भी था। अपनी भावभंगिमाओं और आकर्षक हस्त मुद्राओं से नृत्य के सौंदर्य को साकार किया।
अनन्या ने अलग अलग नृत्य संरचनाओं के जरिए भरतनाट्यम के वैशिष्ट्य को साकार किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ से पूर्व कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रविन्द्र भारती विश्व विद्यालय , पश्चिम बंगाल की प्रधानाध्यापिका डॉ0पुष्पिता मुखर्जी बकौल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थी I
पुष्पांजलि और फूलों के खिलने की नाज़ुक प्रक्रिया को किया साकार
श्रोताश्व्नी राग और आदि ताल से सजी पुष्पांजलि से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। चक्रवाका राग और आदि ताल से सजी गणेश कृथी को अनन्या ने बड़ी खूबसूरती से प्रस्तुत किया। फूलों के खिलने की प्रक्रिया पर केंद्रित इस नृत्य में पद संचलन के साथ ही हस्तमुद्राओं और नेत्र संचलन ध्यानाकर्षी था। जतीश्वरम नृत्य में श्रृंगार का वर्णन किया, तो राग रागामाल्लिका और मिश्रा छपु ताल में वर्णम नृत्य प्रस्तुत करते हुए नृत्यांगना ने प्रभु की आराधना को नृत्य रूप में रामायणा शब्दम को दिखाया प्रभु की आराधना वाला ये नृत्य भावों से परिपूर्ण में कीर्तनम था I
कार्यक्रम के दुसरे चरण में पद भरन्म , सरस्वती भजन , तिल्लाना एवं अंत में तिल्लाना की प्रस्तुति के साथ भरतनाट्यम अरेंग्त्रम कार्यक्रम का समापन हुआ I
सुकुमार कुट्टी के सुरों के साथ नत्तुवंगम सुमति राजन , मृदंग पर डी०मलय , वायलिन पर ऐ०सत्य विशाल और बांसुरी पर कुमार बाबु एवं घटम पर शमिसन आचार्य ने सराहनीय संगत की।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में प्रसंजित दत्ता , सुधा दत्ता , गुरु सुमति रंजन का सराहनीय सहयोग रहा I
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