जमशेदपुर। बंसी बोस म्यूजिक फाउंडेशन तत्वाधान में पुलवामा में शहीद हुए जवानों के सम्मान में शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया , संस्था के द्वारा प्रत्येक वर्ष शहर के सितार वादक स्वर्गीय बंसी बोस के स्मृति में आयोजित किया जाता है यह संस्था का सातवां वार्षिक शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम था I कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष श्री आर०रवि प्रसाद , संस्था के नवनिर्वाचित अध्यक्ष शेखर डे , श्रीमती पूर्वी घोष , अनिरुद्ध सेन ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया साथ ही स्वर्गीय बोस के चित्र पर पुष्प अर्पित किया गया I इसके उपरांत महासचिव श्री सुभाष बोस , अध्यक्ष श्री शेखर डे एवं मुख्य अतिथि श्री आर0रवि प्रसाद ने श्रोताओं को संबोधित किया Iकार्यक्रम के विधिवत उद्घाटन के पश्चात पुलवामा में शहीद हुए जवानों के आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया तत्पश्चात विगत एक वर्ष में देश और शहर के नामचीन कलाकारों एवं संगीत प्रेमियों के निधन पर दो मिनट का मौन रखा गया एवं श्रधांजलि कार्यक्रम में श्री मति प्रेमा मुखर्जी के द्वारा एक से बढ़कर एक देशभक्ति गीत एवं भजन की प्रस्तुति दी गयी I तबले पर अमिताभ सेन का एवं बांसुरी पर अशोक दास सराहनीय संगत रहा I
आज के शाम की पहली प्रस्तुति विदुषी मीरा बनर्जी , स्वर्गीय पंडित ललित मोहन सनयाल एवं पंडित एवं पंडित अजय चक्रवर्ती की शिष्या कोलकाता की पटियाला घराने की विदुषी अंजना नाथ ने दी अपनी प्रस्तुति में इन्होने अपनी स्वयं की रचना राग जयजयवंती में विलंभित रूपक ताल में निबद्ध रचना “जय हरिनाम संकट काटे ……………….” , मध्य लय एक ताल में “करके कलाई चूडियाँ मोरी……………………” , द्रुत तीन ताल में “देसी मारो डोंगर…………….” , राग बसंत तीन ताल में “रंग लगा दे………….” , “सखी फूल…………….” एक से बढ़कर एक गायन पेश किये अंत में मिश्रा काफी में ठुमरी “होरी ठुमरी……………..” की प्रस्तुति दी I अपने कर्णप्रिय प्रस्तुति के दौरान पटियाला घराने की अंजना नाथ ने ऐसा समां बाँधा की सभी वाह वाह कर उठे I उनके साथ तबले पर संगत कोलकाता के प्रसिद्ध तबला वादक शुभ्ज्योती गुहा ,हारमोनियम पर ज्योतिरमय बनर्जी एवं तानपुरे पर सुश्री काकुली मुखर्जी एवं श्रीमती अमृता चौधरी ने दी I
दुसरे कार्यक्रम कलाकार थे कोलकाता के देबांजन भट्टाचार्जी I देबांजन ने मैहर घराने के उस्ताद आशीष खां , ध्यानेश खां और विदुषी अमीना परेरा से सरोद वादन की तालीम पाई I उल्लेखनीय है की उनके सभी गुरु विश्व विख्यात सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खां के सुपुत्र , सुपुत्री और शागिर्द है I देबांजन को उस्ताद अली अकबर खां की कार्यशालाओं में भाग लेने का सौभाग्य भी मिला है , अतः उनके सरोद में मैहर घराने की प्रमाणिक छवि और सुरमयता दिखी Iदेबांजन ने अपनी पहली प्रस्तुति में राग यमन कल्याण में ध्रुपद की आलापचारी पखावज वादन के साथ एवं विलंभित झपताल तबला वादन के साथ प्रस्तुत किये I
अंतिम प्रस्तुति में राग हेमंत में ओचर धमार पखावज वादन एवं तबला वादन के साथ प्रस्तुत किये I देबांजन ने रागों को परत दर परत खोलते हुए श्रोताओं को प्रभावित किया I सभागार में जब सरोद के साथ पखावज की गूंज का लय मिला तो लोग ताली बजाने को विवश हो गए I देबांजन ने अपने ध्रुपद सरोद में ऐसा ध्वनि निकाली की सभी श्रोता शांति के आनंद में डूब गए I वे अपनी लहरियां जैसे – जैसे बिखेरते गए श्रोता ठहरते चले गए I पूरा सभागार शुभज्योती गुहा का तबला एवं निशांत सिंह के पखावज वादन से गुज्यामान रहा I शुभज्योति गुहा एवं निशांत सिंह ने अपने अपने घराने के वादन से यह जाता दिया की कला अभी जीवंत है I
विशेष सम्मान
सम्मान – श्रीमती संध्या रानी गोस्वामी
शास्त्रीय संगीत की विशेषग्य व लेखिका श्रीमती संध्या रानी गोस्वामी को शास्त्रीय संगीत में उनके योगदान के लिए विदुषी अंजना नाथ के द्वारा मान पत्र व शाल ओढाकर सम्मानित किया गया I
सम्मान – श्री मेघनाथ रूही दास
शहर के तबला मरम्मत कारीगर श्री मेघनाथ रूही दास को तबला मरम्मत कार्य में उनकी योगदान के लिए सुप्रसिद्ध तबला वादक श्री शुभ्ज्योती गुहा के द्वारा मान पत्र व शाल ओढाकर सम्मानित किया गया I
मंच का संचालन श्रीमती दुर्गा घोष चौधरी ने बखूबी किया I कार्यक्रम का सीधा प्रसारण सोशल मीडिया पर मैप रेडियो के माध्यम पर सीधा प्रसारण किया गया I
कार्यक्रम के सफल आयोजन में अर्जुन पुरस्कार प्राप्त श्री सुब्रोतो दत्ता , अशोक कुमार बोस गौतम कुमार बोस , बंसी बोस म्यूजिक फाउंडेशन के सभी सदस्य , अंजन मित्रा , देबासिश जी , तरुण जी . रंजना मुखर्जी का सराहनीय सहयोग रहा I
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