संवाददाता,जमशेदपुर,22 सितबंर
जमशेदपुर में बहुमंज़िली इमारतों के निर्माण में अनियमितता, नक्शों के विचलन, अवैध निर्माण एवं अवैध भूमि पर निर्माण आदि की जाँच करने तथा दोषियों को दंडित करने और उनके विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा करने के लिये गठित समिति के कतिपय सदस्यों द्वारा भवन निर्माताओं का भयादोहन करने एवं उनसे अवैध वसूली करने की उच्चस्तरीय जाँच कराने की मांग भाजपा के वरीय नेता सरयू राय ने की है वही इस मामले में को लेकर उपायुक्त को एक पत्र सरयू राय ने लिखा हैं।
इस मामले में सरयू राय ने कहा है कि उपर्युक्त विषय में एक जाँच समिति का गठन विगत जनवरी २०१४ मे किया गया था। लेकिन सूचना के मुताबिक़ यह समिति न केवल अपने उदेश्य में विफल रही है बल्कि इसके कतिपय सदस्य इसकी धौंस दिखाकर संबंधित भवन निर्माणकर्ताओं से अनुचित लाभ लेते रहे हैं। ऐसे एक माननीय द्वारा समिति के सदस्य पद का घोर दुरुपयोग कर भयादोहन मे संलग्न रहना लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इससे समिति की छवि मलिन हुई है। तत्काल इस समिति को भंग किया जाना चाहिये और इसकी आड़ मे चल रही कारगुज़ारियों का भंडाफोड़ कर दोषी पाये जाने वाले के विरुद्ध सख़्त क़ानूनी कारवाई होनी चाहिये।
सरयू राय ने कहा है कि ९ माह बीत जाने के बाद भी इस समिति ने अथवा इस समिति के वैसे सदस्य ने जिनकी भूमिका समिति के गठन मे अग्रणी रही है, आजतक यह नहीं बताया है कि जाँच के दरम्यान जमशेदपुर में ऐसी कितनी इमारतें है जिनका निर्माण अवैध पाया गया है, जिनके निर्माण में नक़्शा विचलन हुआ है, जो अवैध भूमि पर बनी है और जिनका निर्माण अनियमित तरीक़ा से हुआ है। यह बात सार्वजनिक होनी चाहिये कि इस समिति की कितनी बैठकें हुई, समिति ने जाच का क्या तरीक़ा अपनाया, जाँच मे प्राप्त तथ्यों का किस भाँति विश्लेषण हुआ और क्या नतीजा निकला। यदि समिति ने जाँच मे कोई अनियमितता नही पकड़ा तो क्या यह मान लिया जाय कि जमशेदपुर मे बनी सभी बहुमंज़िली इमारतों का निर्माण वैध तरीक़ा से हुआ है। इस परिप्रेक्ष्य में जमशेदपुर मे बहुमंज़िली इमारतों के अवैध एवं अनियमित निर्माण की जाँच के लिये माननीय विधायकों की जाँच समिति गठित करने के औचित्य पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है।
सबको मालूम हालाँकि उपर्युक्त विषय में जमशेदपुर एवं झारखंड के अन्य तीन बड़े शहरों को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय पूर्व मे स्पष्ट आदेश कर चुका है। इस आदेश की आड़ लेकर झारखंड सरकार और जुस्को ने बस्तियों में पानी बिजली का कनेक्शन देने से इंकार कर दिया है। इस आदेश के आलोक में अवैध एवं अनियमित निर्माण को यथासम्भव नियमित करने और वैध बनाने के लिये पूर्ववर्ती राज्य सरकार ने कतिपय निर्देश भी जारी किया है। सबलीज भूमि पर निर्माण के संदर्भ में झारखंड उच्च न्यायालय का स्पष्ट निर्णय भी आ चुका है। गाहे-बगाहे जमशेदपुर अक्षेस के अधिकारी किसी न किसी अवैध या अनियमित निर्माण के बिरुद्ध कारवाईँ करते भी दिखते हैं। इसके बावजूद स्थानीय विधायकगण द्वारा जमशेदपुर में अवैध निर्माण की जाँच के लिये एक समिति बनाई गयी तो नि:संदेश ऐसा इस विषय की गम्भीरता को ध्यान में रखकर और नियम-क़ानून के दायरे में इस समस्या का समाधान ढूँढ़ने के उदेश्य से किया गया होगा। अब सवाल उठना लाज़िमी है कि यह उदेश्य कहाँ तक पूरा हुअा और यदि नहीं पूरा हुआ तो क्यों नहीं पूरा हुआ।
सरयू राय ने उपायुक्त से मांग की है कि वे इस मामले को गंभीरता से ले और इस समिति को अविलम्ब भंग करें और इसके अनियमित कार्यकालाप की उच्चस्तरीय जाँच करायें।
Comments are closed.