गरीब रथ में भी होगी अब पैंट्री, राजधानी- दूरंतो समेत 64 ट्रेनों में लागू होगा नया स्मार्ट मेनू

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नई दिल्ली। गरीब रथ ट्रेनों में भी अब पैंट्री होगी। खानपान को बेहतर बनाने की शुरुआत गरीब रथ से होगी। राजधानी और दूरंतो ट्रेनों में स्मार्ट मेनू भी लागू किया जाएगा। धीरे-धीरे इस व्यवस्था को अन्य ट्रेनों में भी लागू किया जाएगा।

मिनी पेंट्री यात्री ट्रेन के किसी डिब्बे का वह छोटा स्थान होता है जहां खाने को संग्रहीत करने, गर्म करने और वितरण के लिए तैयार करने के इंतजाम किए जाते हैं। अभी केवल शताब्दी ट्रेनों में इस तरह की व्यवस्था देखने को मिलती है। परंतु जुलाई से गरीब रथ ट्रेनों इसे लागू किया जाएगा। बाद में ऐसी सभी मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में मिनी पेंट्री देखने को मिलेगी जिनमें पेंट्री कार का प्रावधान नहीं है। अभी आइआरसीटीसी द्वारा 334 मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में कैटरिंग प्रदान की जाती है, जिनमें 26 ट्रेनों में पेंट्री कार की व्यवस्था है।

इसी के साथ जुलाई से राजधानी, दूरंतो समेत 64 ट्रेनों में स्मार्ट मेनू की शुरुआत भी की जाने वाली है। इसके तहत यात्रियों को अलग-अलग प्रकार के फैंसी आइटमों के बजाय साधारण और लोकप्रिय व्यंजन परोसे जाएंगे। इसमें संख्या के बजाय व्यंजनों की गुणवत्ता पर होगा।

 

लोहानी के अनुसार 2017 की नई खानपान नीति के तहत आइआरसीटीसी को खानपान की जिम्मेदारी पुन: सौंपने के साथ-साथ खाना पकाने और परोसने या वितरित करने के कार्यो को अलग कर दिया गया था। इस व्यवस्था को मूर्त रूप देने के लिए आइआरसीटीसी देश भर में बेस किचन बनाने में जुटा है। अब तक 16 बेस किचन तैयार हो चुके हैं। अगले वर्ष मार्च तक इनकी संख्या 35 हो जाएगी। जबकि दिसंबर तक पूरे 68 बेस किचन तैयार करने का लक्ष्य है।

पेंट्री मैनेजर :

लोहानी के मुताबिक ट्रेनों में खाने की वितरण व्यवस्था को दुरुस्त करने तथा शिकायतों के मौके पर समाधान के लिए प्रत्येक ट्रेन में एक पेंट्री मैनेजर की नियुक्ति भी की जाएगी। खाने की अधिक कीमत वसूलने व बिल न देने की शिकायतों से निपटने के लिए कैटरिंग कर्मियों को 3000 पोओएस मशीने प्रदान करने का निर्णय भी लिया गया है। आइआरसीटीसी ने एक हजार पीओएस के आर्डर दे भी दिए हैं।

यूनिफार्म :

राजधानी और दूरंतो तथा इस श्रेणी की अन्य ट्रेनों में कैटरिंग कर्मियों को एक जैसी यूनिफार्म पहनने को दी जाएगी। इतना ही नहीं, इन ट्रेनों में खाना परोसने के लिए ट्रॉली के अलावा गन्ने की खोई से निर्मित पर्यावरण अनुकूल ट्रे का प्रयोग करने का फैसला भी किया गया है।

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