मुंबई–इस्पात संयंत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए टाटा स्टील को प्रधानमंत्री ट्राॅफी से सम्मानित किया गया

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टाटा स्टील ने मूल्यांकन वर्ष 2014-15 और 2015-16 के लिए जीती ट्रॉफी

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मुंबई. 2014-15 और 2015-16 के मूल्यांकन वर्षों में टाटा स्टील लिमिटेड को ’सर्वश्रेष्ठ एकीकृत इस्पात संयंत्र’ के लिए प्रधानमंत्री ट्राॅफी से सम्मानित किया गया। कंपनी को लगातार तीसरी बार यह पुरस्कार मिला है। भारत के उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने आज हैदराबाद में आयोजित एक समारोह में श्री आनंद सेन, प्रेसिडेंट, टीक्यूएम ऐंड स्टील बिजनेस, टाटा स्टील और श्री आर रवि प्रसाद, प्रेसिडेंट, टाटा वर्कर्स यूनियन को यह पुरस्कार सौंपा।
1992-93 में इस पुरस्कार की स्थापना के बाद से टाटा स्टील को बारह बार सर्वश्रेष्ठ एकीकृत इस्पात संयंत्र के रूप में सम्मानित किया जा चुका है; इसने दस बार प्रधान मंत्री ट्रॉफी जीती है और दो बार उत्कृष्टता के लिए प्रमाण पत्र प्राप्त किया है।
वर्ष 2014-15 और 2015-16 के लिए विशिष्ट जजों के एक पैनल द्वारा कंपनी का सख्त मूल्यांकन किया गया। पैनलिस्टों ने टाटा स्टील द्वारा आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाने, सुरक्षा संस्कृति को आत्मसात करने और विश्व स्तरीय संयंत्र वातावरण के सृजन के लिए कंपनी के प्रयासों की प्रशंसा की। परिचालन दक्षता में महत्वपूर्ण सुधार, ग्रीन हाउस उत्सर्जन में कमी, डिजिटलीकरण, कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व, शहर प्रबंधन सेवाएं और सामंजस्यपूर्ण औद्योगिक संबंध कुछ अन्य क्षेत्र थे, जिन्होंने प्रतिष्ठित जूरी को प्रभावित किया।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री आनंद सेन ने कहा, “प्रोद्योगिकीय उत्कृष्टता की खोज के लिए अपने प्रयासों के सम्मान में यह पुरस्कार प्राप्त करते हुए हम गौरवांवित हुए हैं। हम अत्याधुनिक प्रौद्योगिकीय अभ्यासों व आधुनिक तकनीक को विकसित व कार्यान्वित करने तथा अपने कर्मचारियों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने को लेकर एक विजन प्रदान करने में विश्वास करते हैं। एक कॉर्पोरेट के रूप में हम मूल्यों तथा प्रौद्योगिकी, प्रक्रियाओं व उत्पादों में लीडिंग-एज साॅल्यूशन के विकास के लिए मार्गदर्शी भावना से प्रेरित हैं। यह पुरस्कार पूरे टाटा स्टील परिवार के सहयोग के बिना संभव नहीं होता।“
तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री पी वी नरसिम्हा राव के सुझाव पर 1992-93 में स्थापित प्रधानमंत्री ट्रॉफी, एकीकृत इस्पात संयंत्रों के उल्लेखनीय प्रदर्शन को सम्मानित करती है। इस पुरस्कार का उद्देश्य इस्पात संयंत्रों को उनके संचालनों में दक्षता, गुणवत्ता और अर्थव्यवस्था के अंतरराष्ट्रीय मानकों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना तथा इस्पात संयंत्रों में प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा करना है, ताकि वे निरंतर अपने-आप को उत्कृष्टता की ओर ले जायें और अपने प्रदर्शन को सुधार सकें।
विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों और भारत सरकार द्वारा किए गए संशोधनों के अनुसार, एकीकृत इस्पात संयंत्रों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए निर्धारित मनदंड इस प्रकार है – इस्पात क्षमता का उपयोग, संचालन क्षमता, वित्तीय प्रदर्शन, उत्पाद की गुणवत्ता, पर्यावरण प्रबंधन, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व, सुरक्षा, अनुसंधान व विकास पर जोर, ग्राहक संतुष्टि, सक्षम मापदंड, कर्मचारियों की संतुष्टि सूचकांक और संयंत्र के दौरे के आधार पर जजों के पैनल के अवलोकन।

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