कौशिक घोष चौधरी
नवरात्र स्पेशल
नवरात्र में यह आम धारणा है की जो व्रत रखते हैं , वे अन्न नहीं खाते, फलाहार लेते हैं. शुद्धता का ख्याल रखते हुए नमक की जगह सेंधा नमक (रॉक सॉल्ट) लिया जाता है. वैसे, यह ज़रूरी नहीं कि व्रत में हम केवल चाय, दूध या फल खाकर काम चला लें. आप व्रत का पालन करते हुए भी त्योहार का मज़ा ले सकते हैं.
पूरे देश में नवरात्रि गुरुवार से प्रारंभ हो रही है. अगले 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 रूपों की अराधना होगी. उत्तर, पूर्वी और पश्चिम भारत में खासतौर पर लोग व्रत रखते हैं. कई घरों में नवरात्रि के दौरान सात्विक भोजन बनता है. इस दौरान कई लोग लहसुन-प्याज़, नॉनवेज खाने से परहेज़ करते हैं.
इस बार इन फलाहारी पकवानों का लुत्फ ज़रूर उठाइये…
कुट्टू का डोसा
कुट्टू को बकवीट भी बोलते हैं. आमतौर पर हम व्रत के दौरान कुट्टू के आटे का हलवा या पूरी बनाकर खाते हैं. इसबार आप इसे डोसे के रूप में खाएं. साथ में उबले आलू की स्टफिंग डालें. घर में जो लोग व्रत नहीं कर रहे हैं उनके लिए भी ये किसी ट्रीट से कम नहीं होगा.
आलू की कढ़ी
जाहिर है व्रत के दौरान आप प्याज़ की पकौड़ी या बेसन की पकौड़ी वाली कढ़ी नहीं खाएंगे. ऐसे में आप आलू की कढ़ी ट्राई कर सकते हैं. आलू और दही की वजह से ये डिश आपको व्रत के दौरान ऊर्जावान रखेगी.
लो-फैट मखाना खीर
वो त्योहार की क्या जिसमें मीठा न हो. नवरात्रि के दौरान आप मखाना खीर ज़रूर बनाएं. साथ ही इसमें ड्राई फ्रूट्स डालना न भूलें. अगर मीठा खाने के बाद वज़न बढ़ने का डर सता रहा हो, तो आप लो-फैट मिल्क का इस्तेमाल करें. मखाना खीर न केवल स्वाद के लिहाज़ से बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी पौष्टिक है.
खीरे की पकौड़ी
प्याज़ न सही, तो खीरा ही सही, पकौड़ियां खाने का दिल करे तो खाइये ज़रूर. शाम को चाय के साथ आप खीरे की पकौड़ी ट्राई करें. कुछ घरों में लौकी और आलू की पकौड़ी भी बनाई जाती है.
बनाना-वॉलनट लस्सी
कई लोग व्रत के दौरान दूध का सेवन करना पसंद नहीं करते. ऐसे में वे बनाना-वॉलनेट लस्सी ले सकते हैं. दही, अखरोट, केला और शहद को एक साथ ब्लेंड करें और एक मज़ेदार लस्सी का लुत्फ उठाएं.
कबाब-ए-केला
व्रत की बोरियत दूर करनी है तो आप मज़ेदार कबाब-ए-केला ज़रूर चखे. केला, इलाइची और अदरक को साथ में उबालकर मैश करें. फिर छोटे-छोटे लड्डू बनाकर तवे पर सेंक लें या फिर घी में तल लें.
इन तमाम व्यंजनों की खासियत ये है कि इन्हें बनाने में ज्यादा वक्त और मेहनत भी नहीं लगता. आप इन्हें साल के किसी भी दिन ट्राई कर सकते हैं. तो क्यों न इस खाने-खिलाने की लज़ीज़ परंपरा की शुरुआत इस शुभ घड़ी में ही कर दी जाए!
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