नवरात्र स्पेशल- महिषासुरमर्दिनी को प्रसन्न करने को होती है “संधि पूजा”

84
Koushik Ghosh Choudhury
नवरात्र स्पेशल।
शहर के दुर्गा पूजा पंडालों में 28 सितम्बर दिन गुरुवार को अष्टमी पूजन के पश्चात संधि पूजा का आयोजन किया जायेगा । माना जाता है कि नवरात्र में अष्टमी के दिन खास वक्त पर मां ने महिषासुर नामक असुर का वध किया था। इसी काम में देवी शक्ति को याद करते हुए उनकी विशेष उपासना की जाती है। इसीलिए इसे संधि पूजा कहा जाता है।
अष्टमी तिथी के अंतिम 24 मिनट और नवमी तिथी के पहले 24 मिनट की शुभ मुहूर्त को “संधि” का समय या दुर्गा पूजा के दौरान पवित्र काल के रूप में जाना जाता है। संधि के मुहूर्त को पूरे दुर्गा पूजा के दौरान सबसे शुभ समय माना जाता है। संधि पूजा परिणति बिंदु है और दुर्गा पूजा का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।
व्रती महिलाओं के द्वारा पूरे दिन उपवास किया जाता है और पूजा के बाद भी केवल फलाहार पर दिन गुजारा जाता है । इस दौरान 108 सरसों के तेल का दीप केले के पत्ते में रखकर भगवती के चढ़ाया जाता है । मां जगदम्बा के विशेष रूप की पूजा के लिए 108 केले के पत्तों की माला मां को पहनाई जाती है । 108 कमल के फूल की माला पहनाई जाती ।
घोड़ाबाँधा दुर्गा पूजा समिती की सदस्य श्रीमती शिखा राय चौधरी ने बताया कि इस पूजा को केवल महिलाएं करती हैं। जो महिलाएं इस पूजा को करती हैं, वे पूरे दिन व्रत रखती हैं। उनका व्रत अष्टमी व्रत से थोड़ा विशेष होता है। क्योंकि अष्टमी व्रत में पूजा के बाद भोजन का विधान है लेकिन संधि पूजा करने वाली महिलाएं इसके बाद केवल फलाहार पर ही रहती हैं। इस पूजा के लिए समय का विशेष ध्यान रखा जाता है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More