रवि कुमार झा,जमशेदपुर,26मई


जमशेदपुर से सटे दलमा पहाङ के ग्रामीण अब मधुमक्खी का पालन करना शुरु किया है ।यह पालन ग्रामीण वन विभाग के सहयोग से कर रहे है ।इसके पहले चरण में 50 लोगो को प्रशिक्षण दिया गया है । वन विभाग के अनुसार यहाँ से प्रतिवर्ष एक लाख टन मधु उत्पादन करने का लक्ष्य है और उसी के अनुसार इस योजना को अमली जामा पहनाया जा रहा है ।
कब शुरु की गई योजना
हाथियों के लिए संरक्षित क्षेत्र घोषित दलमा के जंगलों में अब मधुमक्खी पालन ने रोजगार का रूप ले लिया है। 1केंद्रीय बी बोर्ड व झारखंड सरकार के सहयोग से दलमा में प्रथम चरण में 50 लोगों को प्रशिक्षण देकर मधुमक्खी पालन की शुरुआत पिछले महीने की गई थी। करीब सवा महीने के बाद दलमा के जंगलों से मधु निकलना शुरू हो गया। इसे दलमा मधु का नाम दिया गया। इसी नाम से मधु की पैकेजिंग हो रही है। इसे ब्रांड के रूप में देश भर में प्रचारित करने की योजना है। नेशनल बी बोर्ड के रांची स्थित प्रतिनिधि जंगल में आकर मधु मक्खी पालक किसानों को मधु निकालने में मदद करते हैं। प्रथम चरण में 50 लोगों में से 17 लोगों के छत्ते से 16-17 किलो मधु निकला जबकि बाकि लोगों के छत्ते से कम मधु निकल सका।
किन गांव को किया गया चिन्हीत
दलमा की तराई में बसने वाले 85 गांवों के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की योजना के तहत मधुमक्खी पालन कराया जा रहा है ताकि लोगों की गरीबी दूर हो सके। जानकारी हो कि दलमा में से निकलने वाला मधु पूरी तरह शुद्ध है। इसे 120 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से बेचा जा रहा है। मधु मक्खी पालन के लिए सरकार की ओर से ग्रामीणों को निश्शुल्क 5-5 बक्से दिए गए थे। सभी में रानी मक्खी थी जो सवा महीने में मधु तैयार करती है।
तीन मधुमक्खी पालकों को किया गया पुरस्कृत
दलमा में मधुमक्खी पालन में सबसे अधिक मधु निकालने वाले तीन लोगों को सरकार की ओर से पुरस्कृत किया गया। इस संबंध में जानकारी देते हुए दलमा के फारेस्टर दिनेश चंद्रा ने बताया कि झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एके मलहोत्र ने तीन लोगों मंगल मार्डी, खूंटीमाकली, नीलमनी बास्के, भादुडीह तथा युधिष्ठिर सिंह मकुलाकोचा को पुरस्कृत किया। पुरस्कार में नकद राशि के साथ प्रशस्तिपत्र प्रदान किया गया।