प्रेस विज्ञप्ति
जमशेदपुर।
कर्म और भक्ति के मार्ग पर चलकर योग और सत्संग करना ही व्यक्ति के आत्म सुधार का मार्ग है।योग यानी जुड़ाव,कभी आत्मा का ईश्वर से तो कभी कर्म का भाव से।योग एक जीवन पद्धति है जो हमारी विकारों को दूर कर संस्कारों से जोड़ता है।ईर्ष्या, अविश्वास,और क्रोध दूर भगाए जाते हैं ,इसलिए योग और सत्संग जीवन में अनिवार्य है।
ये बातें आज स्वामी गुरु गोरखनाथ जी,वरिष्ठ सन्यासी,बिहार योग विद्यालय,ने अपने प्रवास के दौरान बारीडीह शिव मन्दिर के प्रांगण में कही। शिव मंदिर समिति और सत्यानंद योग केन्द्र,जमशेदपुर के तत्वाधान में आयोजित इस सत्संग का शुभारंभ स्वामी जी ने शिवार्चना के साथ की।उसके बाद गुरु गीत निधी, निक्की,और कोरल की टीम ने प्रस्तुत किया।ॐ के मंत्रोच्चार और ओम नमः शिवायः के जाप से आरंभ हुआ। तत्पश्चात स्वामी जी ने योग शिक्षा दी।उसके बाद भोग और प्रसाद का वितरण हुआ। इस सत्संग में 300 से ज्यादा भक्तजन शामिल हुए।काफी संख्या में पूर्व सैनिक सपरिवार शामिल हुए और सत्संग का लाभ उठाया।
कार्यक्रम का संचालन निधि, धन्यवाद ज्ञापन मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री सिद्धनाथ सिंह जी ने किया। व्यवस्था श्री अभय सिंह और अश्विनी शुक्ला जी ने किया।
जिनका रहा सहयोग
श्री सिद्धनाथ सिंह,अभय सिंह,अवधेश कुमार,रमेश राय,तारकेश्वर मल्ल, ऋषि गुप्ता,रतन वर्मा,सुशील सिंह,बी बी सिंह,सीताकांत पाण्डेय, मुकुटधारी सिंह,भोला शुक्ला,अशोक सिंह,कंचन,सीमा,मंजुला,गुड़िया,अन्विता,रीना,विभा,कृष्ना सहित
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