जमशेदपुर।
मधुमेह में कमी बनाम सुधार पर नारायणा हॉस्पिटल के डॉ. कल्याण ने मरीजों में जगाई नई उम्मीद
जमशेदपुर। ब्रह्मानंद नारायणा हॉस्पिटल के प्रमुख मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. कल्याण कुमार ने मधुमेह मरीजों और चिकित्सा क्षेत्र के लिए नई उम्मीद जगाई है। डॉ. कुमार का उपचार विशेष रूप से मधुमेह के रिवर्सल की बजाय रेमिशन पर केंद्रित है। हाल ही में डबल्यूएचओ और एडीए ने मधुमेह रेमिशन को प्रोत्साहित किया है। उनके अनुसार, जो मरीज बिना दवाओं और इंसुलिन के एचबीए1सी स्तर 6.5 प्रतिशत से कम बनाए रखते हैं, उन्हें रेमिशन की श्रेणी में रखा जा सकता है। यह तब संभव है जब मधुमेह का निदान हाल के छह वर्षों में हुआ हो और रोगी इंसुलिन का प्रयोग न कर रहा हो। मोटापे का प्रबंधन रेमिशन के लिए महत्वपूर्ण है। 5-10 प्रतिशत वजन घटाने से मेटाबॉलिज्म में सुधार हो सकता है, और 10-15 प्रतिशत वजन घटाने से रेमिशन की संभावना बढ़ सकती है। डॉ. कुमार का प्रोटोकॉल भीएलसीडी भीएलईडी, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन पर आधारित है, जिससे रोगी अपनी इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ा सकते हैं और दवाओं पर निर्भरता कम कर सकते हैं। वर्ल्ड डायबिटीज डे (14 नवम्बर) के अवसर पर इस संबंध में डॉ. कल्याण कुमार ने कहा कि मधुमेह अब एक ही प्रकार का रोग नहीं है। सही उपचार, जीवनशैली में बदलाव, और नियमित निगरानी के साथ, हम ऐसे मामलों को देख रहे हैं जहां मरीज रेमिशन प्राप्त कर सकते हैं। यानी बिना दवा के रक्त शर्करा स्तर को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं। कुछ मामलों में, विशेष रूप से प्रारंभिक हस्तक्षेप के साथ, रोगी रेमिशन का अनुभव कर सकते हैं। डा. कुमार के तरीकों ने रोगियों को इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने और दवाओं पर निर्भरता को कम करने में प्रभावी रूप से मदद की है।
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