Madhubani News :दरभंगा राज परिवार की बहू गुंजेश्वरी सिंह के निधन से शोक की लहर

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मधुबनी

दरभंगा राज घराना के महाराज कुमार कीर्ति सिंह के संतान बाबू जगदीश नन्दन सिंह जी की अर्द्धाङ्गिनी गुञ्जेश्वरी बहुवासिन का मधुबनी डयोढी परिसर स्थित निवास पर गुरुवार रात्रि करीब 11 बजे निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार शुरावर को मधुबनी में किया गया। बता दें कि गुञ्जेश्वरी बहुवासीन को कोई संतान नहीं है।

बाबू अजयधारी सिंह को गुञ्जेश्वरी बहुवासीन के कर्ता बनाये गये है। नवरत्न स्थित निजी पित्रालय में, बाबू जगदीश नंदन सिंह के बगल में उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को सम्पन्न हुआ।

बता दें कि गुञ्जेश्वरी बहुवासीन जी की ओर से लोककल्याणार्थ किया गया यह अंतिम काम कूप के पुनर्निर्माण का है। पहले पिनेयोग्य जल की आपूर्ति के लिए कुआं के इस्तेमाल ही पूर्ति का एकमात्र आधार होता था। वर्तमान में जब भूजल नीचे जाने की बात हुई तो गुञ्जेश्वरी बहुवासीन जी ने कुआं का निर्माण करा दिया।

गुञ्जेश्वरी बुआसिन की ओर से लोककल्याणार्थ किया गया कार्यों में सन 1944 में बाबूबरही में जगदीश नंदन हाई स्कूल बाबुरही की स्थापना हुई जो आज भी बाबुरही में चल रहा है। 1949 में मधुबनी के बाबुरही में ही गदीश नंदन महाविद्यालय की स्थापना की गई, बाद में महाविद्यालय का स्थानांतरण मधुबनी किया गया। 1960 में मधुबनी में ही प्रदेश के गुञ्जेश्वरी नेत्रहीन बालिका विद्यालय की स्थापना की। इनके द्वारा कई महत्वपूर्ण कार्य किये गये हैं, जैसे मधुबनी में हार्ट अस्पताल की जमीन अत्यधिक कम मूल्य पर उपलब्ध कराना। इसके अलावा अन्य कई कार्यों में उल्लेखनीय भूमिका बाबू जगदीशनंदन सिंह जी एवं गुञ्जेश्वरी जी की रही है।

शिक्षण संस्थानों की स्थापना में बाबू जगदीशनंदन सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जैसे दरभंगा में चंद्रधारी सिंह ने कॉलेज और संग्रहालय की स्थापना की, वैसे ही मधुबनी में बाबू जगदीशनंदन सिंह एवं उनकी धर्मपत्नी गुञ्जेश्वरी सिंह ने कॉलेज, कई स्कूल एवं अन्य कई शिक्षण संस्थान भी खोले। उनकी ख्याति आज भी शिक्षा के क्षेत्र में किये गये उनके कार्यों को लेकर है। बाबू जगदीशनंदन सिंह उन तीन लोगों में से हैं, जिन्होंने 1946 में भारत-नेपाल रेलखंड के लिए अपनी 29 एकड़ जमीन नेपाल रेलवे को लीज पर दी हुई है। जहाँ भारत के एकमात्र ऑपरेशनल अंतराष्ट्रीय रेल लाइन सेवा के भारत के जयनगर से नेपाल के वर्दीवास तक के खंड पर आप आज भी यात्रा कर सकते है।

इनके निधन पर कुमार रत्नेश्वर सिंह, मित्रनाथ झा, गोपाल नंदन सिंह, प्रो. लवण्या कृति, प्रो. नागेंद्र नारायण झा, पराशर झा, अवनींद्र झा, प्रो. कुलधारी सिंह, श्रुतिधारी सिंह, प्रो.कांतिधारी सिंह, विद्यापति सिंह, तारापति सिंह, प्रो.विनयधारी सिंह, दीनानाथ झा, जया झा, प्रो.विद्यानंद झा, डॉक्टर विनयानंद खा, डॉक्टर संजीव नयन झा, राजीव नयन झा, सच्चीनाथ झा, रति नाथ झा, प्रवीण कुमार सिंह, रुपाली सिंह, उदय कुमार झा, पंकज झा, सुभाष कुमार, शक्तिधारी सिंह, अभय अमन सिंह, संजय कुमार झा, कुमार शैलेश कुमार, सुमन झा, लंबोदर झा, कार्तिक कुमार, कुंजन कुमार, प्रियांशु झा, हर्ष झा, आशीष झा, कुमुद सिंह, भवनाथ झा, शिवकुमार मिश्र, प्रसन्न कुमार, प्रो. जी. के. ठाकुर, सहित अन्य लोगों ने शोक प्रकट किया है.

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