Jamshedpur News:गोलमुरी में मनाई गई नालसा जजमेंट की 10वीं वर्षगांठ

गोलमुरी में मनाई गई नालसा जजमेंट की 10वीं वर्षगांठ, ट्रांसजेंडर समुदाय ने की मांग--झारखंड में बने ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड, शिक्षा और रोजगार में मिले आरक्षण, जो वादा किया, वह पूरा करे सरकार

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Anni Amrita

अन्नी अमृता

जमशेदपुर.

आज गोलमुरी आदिवासी हो समाज सामुदायिक भवन में उत्थान सी.बी.ओ. एनजीओ की ओर से नालसा जजमेंट की दसवीं वर्षगांठ मनाई गई. इस कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता पूर्वी घोष बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुईं.वहीं एंकर सह एक्टर पूजा, वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता, जेएनएसी की पदाधिकारी आशिया अहमद खान, अधिवक्ता रविन्द्र और अन्य बतौर अतिथि उपस्थित थे.जजमेंट के एक दशक गुजरने की खुशी में केक कटिंग की गई.इस दौरान नालसा जजमेंट के एक दशक गुजरने के बाद जमीनी धरातल पर थर्ड जेंडर या ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की सामाजिक स्थिति, चुनौतियों और समाधान पर चर्चा हुई.

उत्थान सीबीओ के सचिव अमरजीत ने अपने संबोधन में अफ़सोस जताया कि नालसा जजमेंट से भले ही ट्रांसजेंडर या थर्ड जेंडर को तीसरे लिंग के रूप में कानूनी मान्यता मिल गई, लेकिन जमीनी धरातल पर काफी चुनौतियां हैं.रोजगार और सामाजिक स्वीकृति के अभाव में थर्ड जेंडर समुदाय विकास नहीं कर पा रहा है.अमरजीत ने कहा कि पिछले साल झारखंड सरकार ने किन्नरों को एक हजार महीने पेंशन देने और नौकरी में आरक्षण की घोषणा की थी, लेकिन हकीकत में अभी तक किसी को न पेंशन मिल रहा है और न ही सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था हो पाई है.अमरजीत ने टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेन्द्रन और वीपी एचआरएम अत्रैयी सान्याल का इस बात के लिए शुक्रिया अदा किया कि कंपनी पूरे देश से ट्रांसजेंडरों को रोजगार दे रही है.अमरजीत ने कहा कि टाटा जैसी ही पहल की जरुरत सरकार की तरफ से भी है, जिसका झारखंड में अभाव है.अभी तक झारखंड सरकार ने ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड तक नहीं बनाया है जबकि नालसा जजमेंट( 15 अप्रैल 2014 )में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर बोर्ड बनाने के संबंध में राज्यों को निर्देश दिया था.अमरजीत ने कहा कि फैसले को 10 साल बीत गए हैं, अब हम सरकार से यही मांग करते हैं कि जैसा उन्होंने 2% ट्रांसजेंडर समुदाय के आरक्षण की बात कही है तो उसको लागू भी करे ताकि,
हमारे समुदाय के लोग हर विभाग में दिखे.

अतिथि पूजा ने कहा कि ट्रांसजेंडर समुदाय भी कुछ कर के आगे बढ़ना चाहता है,बस उसे समाज और सरकार से थोड़ा मौका की जरुरत है.

कार्यक्रम में मौजूद अतिथि वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता ने कहा कि थर्ड जेंडर को कानूनी मान्यता मिलना एक बात है और इसे सामाजिक स्वीकृति मिलना दूसरी बात..शुरुआत खुद से और परिवार से शुरू होती है.अगर घर से थर्ड जेंडर को न निकाला जाए,परिवार अपनाए तो आधी समस्या वहीं खत्म हो जाएगी.साथ ही मीडिया से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता, सरकारी पदाधिकारी, नेता और अन्य सभी अपना रोल बखूबी करें तो बदलाव आ सकता है.अन्नी अमृता ने बताया कि कैसे जमशेदपुर में ट्रांसजेंडर समुदाय के पास आधार कार्ड और जरुरी डाक्यूमेंट्स नहीं होते थे, लेकिन मीडिया ने ट्रांसजेंडर समुदाय की आवाज को प्रमुखता से जगह दी जिससे शहर में विशेष कैंप लगाकर प्रशासन ने ट्रांसजेंडरों के लिए आधार कार्ड वगैरह बनवाए.

मुख्य अतिथि पूर्वी घोष ने कहा कि वैसे तो देश में अर्द्ध नारीश्वर की पूजा होती है,लेकिन वास्तविक जिंदगी में अगर ऐसा कोई दिखता है तो समाज उलाहना देता है, जो गलत है.

इस मौके पर मौजूद अधिवक्ता रविन्द्र ने उपस्थित ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को कानून के प्रति जागरुक किया.कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि पूर्वी घोष के नेतृत्व में उपस्थित लोगों ने अपने वोट के अधिकार का प्रयोग करने का संकल्प लिया.साथ ही शुक्रवार को कदमा में हुई दुर्घटना में ट्रांसजेंडर साथी की मौत को लेकर शोक प्रकट किया गया.

 

क्या है नालसा जजमेंट 2014
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पहली बार 15अप्रैल 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में थर्ड जेंडर को मान्यता दी.यह मामला नालसा(NALSA)बनाम भारत संघ कहलाता है.उक्त निर्णय के माध्यम से अदालत में पहली बार ये माना गया कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पुरुष, महिला या ट्रांसजेंडर व्यक्ति के रुप में अपनी लिंग पहचान की स्वयं की पहचान करने का अधिकार है.साथ ही यह भी माना गया कि ट्रांसजेंडरों के साथ भेदभाव हुआ है और उनको मुख्य धारा से बाहर रखा गया है.सुप्रीम कोर्ट ने तब फैसले में सिफारिश की थी कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को रोजगार और शिक्षा में आरक्षण मिले.

उत्थान सी.बी.ओ. का परिचय
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उत्थान सी.बी.ओ संस्था झारखंड के 5 जिलों— पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, रांची, सरायकेला खरसावां और धनबाद में कार्यरत है.उत्थान संस्था विभिन्न कंपनियों के सी.एस.आर से और सरकारों से संस्था के लिए सहयोग भी चाहती है
ताकि वो समुदाय को आगे लेकर आ सके.

इस संस्था के सहयोगी संस्था के संस्थापक अमरजीत सिंह,अर्पित पांडे, हेमंत, अरुणा,जय देव, मोनी, आलिया किन्नर, पीहू किन्नर, जन्नत और अर्श लगतार सरकारी और गैर सरकारी विभागो में जा -जाकर सरकार को क्या काम करना है, क्या कानून लागू है, क्या क्या दस्तावेज होने चाहिए , इसको लेकर जागरुकता कार्यक्रम करते रहते हैं.

 

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