रायपुर 11 मार्च
एक बार छत्तीसगढ सुकमा जिले में नक्सलियों ने दिल को दहलादेनेवाली घटना सामने आई है . मंगलवार को हुए भीषण माओवादी हमले में सुरक्षा बलों के 15 जवान शहीद हो गए। शहीद जवानों में 11 सीआरपीएफ और चार जिला पुलिस बल के थे। इस दौरान एक व्यवसायी भी लापरवाही के चलते मारा गया। लोकसभा चुनाव से पहले यह हमला उसी झीरम घाटी इलाके में हुआ है जहां पर छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पूर्व गत 25 मई को कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला हुआ था।
उस हमले में प्रमुख कांग्रेस नेताओं समेत 32 लोग मारे गए थे। घने जंगलों वाले इसी इलाके में सन 2010 में माओवादियों ने घेरकर सुरक्षा बलों के 76 जवानों को मार डाला था।झीरम घाटी में नक्सली वारदात की वजह से मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह मंगलवार को दिल्ली दौरा रद्द कर रायपुर लौट आए। यहां आकर उन्होंने सीएम हाउस में आपात बैठक ली तथा वारदात की जांच के आदेश दिए। एडीजी आरके विज को जांच की जिम्मेदारी दी गई है। मुख्यमंत्री ने दोपहर में दिल्ली से ही सीएस, एसीएस और डीजीपी को घटनास्थल पर जाने के निर्देश दे दिए थे। अफसरों के मुताबिक खुद सीएम भी बुधवार को घटनास्थल का जायजा लेंगे। मंगलवार की शाम रायपुर आते ही सीएम ने अस्पताल जाकर घायलों से मुलाकात की और डाक्टरों को उनके बेहतर इलाज के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने झीरम घाटी में जवानों पर हुए नक्सली हमले की निंदा की है। उन्होंने हमले को कायराना करतूत करार दिया है। उन्होंने शहीदों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए घायल जवानों के इलाज की पूरी व्यवस्था करने कहा है। सीएम ने कहा कि नक्सलवाद प्रदेश ही नहीं पूरे देश की समस्या है। छत्तीसगढ़ पूरे देश के लिए नक्सलियों के खिलाफ लड़ रहा है। आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई और बस्तर का विकास लगातार चलता रहेगा।घटना पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शोक व्यक्त किया है।
बताया जाता है की छत्तीसगढ सुकमा जिले तोगंपाल से करीब पांच किलोमीटर दूर मंगलवार सुबह नक्सलियों ने चार वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इस खबर के बाद तोंगपाल थाने से करीब दस बजे सीआरपीएफ की 80वीं बटालियन व जिला पुलिस बल के 44 जवानों का दल मौके के लिए रवाना हुआ। तोंगपाल से करीब दो किलोमीटर दूर जगदलपुर मार्ग पर स्थित टहकवाड़ा के पास पहले से घात लगाए बैठे नक्सलियों ने जवानों पर सड़क के दोनों ओर से फायरिंग करनी शुरू कर दी। अचानक हुई गोलियों की बौछार इतनी तेज थी कि जवानों को संभलने का मौका भी नहीं मिला। सुनियोजित हमले में पीछे चल रही जवानों की टुकड़ी को माओवादियों ने उलझा लिया और उन्हें आगे आने से रोके रखा।घटना के बाद माओवादी जवानों के हथियार लूट ले गए। मुठभेड़ के बाद माओवादियों ने सीआरपीएफ के शहीद जवान के शव के नीचे प्रेशर बम भी लगा दिया। पुलिस ने अगर सावधानी न बरती होती तो मृतकों का आंकड़ा और बढ़ सकता था। घटना के बाद पुलिस ने काफी देर तक शवों से छेड़छाड़ नहीं की। बाद में पुलिस जवानों ने प्रेशर बम को निष्क्रिय किया और शव तोंगपाल थाने लेकर आए।बताया गया है कि घटना को आधुनिक हथियारों से लैस करीब दो सौ माओवादियों ने अंजाम दिया। करीब दो घंटे चली मुठभेड़ में आगे की टुकड़ी में शामिल 14 जवानों की मौके पर ही मौत हो गई। एक जवान ने तोंगपाल अस्पताल में दम तोड़ा। घायल जवानों को हेलीकॉप्टर से मेडिकल कॉलेज जगदलपुर रेफर किया गया। घटना की सूचना मिलने पर एसपी अभिषेक शांडिल्य अतिरक्त बल लेकर मौके पर पहुंचे।इस दैरान एक व्यावसायी की भी गोली लगने से मौत हो गई
सुकमा में ऑटो पाटर््स का काम करने वाला जगदलपुर निवासी विक्रम निषाद भी मुठभेड़ की चपेट में आ गया। मोटर साइकिल पर सवार होकर वह जगदलपुर जा रहा था तभी तोंगपाल के पास एनएच 30 पर पुलिस व नक्सलियों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई।
मुठभेड़ स्थल से कुछ पहले विक्रम को कुछ लोगों ने हाथ दिखाकर आगे न जाने के लिए कहा लेकिन इयर फोन लगा होने के कारण वह उनकी बात नहीं सुन पाया और मुठभेड़ स्थल पर पहुंच गया। वहां पर वह गोलियों का शिकार हो गया।इस दौरान
पार्थिव शरीर के नीचे लगाया प्रेशर बम
शहीद जवानों के नाम
शहीद जवानो में एक जवान झारखंड का
मुठभेड़ में सीआरपीएफ के 11 व जिला पुलिस के चार जवान शहीद हुए। शहीद होने वाले जवानों के नाम- राजेंद्र गावडकर, इसुफ कुमार पिस्दा, आदित्य कुमार शाह, नकुल धु्रव, फैजल हक, प्रदीप कुमार, मनोज, लच्छिंदर सिंह, नीरज कुमार, सुभाष चंद, मेहर सिंह, टीआर सिंह, कौशल सिंह व सोमनाथ हैं। घायल जवान मनोज सिंह, मणिलाल ठाकुर व अजय सेठिया को प्राथमिक उपचार के बाद जगदलपुर रेफर किया गया है।
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