अजय धारी सिंह
*मधुबनी:* भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए देवोत्थान एकादशी भी बेहद उत्तम मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कुछ लोग व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं। इस दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
*कब होती है देवोत्थान एकादशी।*
पंडित सुरेंद्र झा बताते हैं कि हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवोत्थान एकादशी मनाई जाती है। देवोत्थान एकादशी का दिन श्री हरि विष्णु को समर्पित है। इस दिन जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं। इसके बाद से ही चार महीने से बंद सभी मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं। इसके अलावा देवोत्थान एकादशी भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए भी बेहद उत्तम माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए, कुछ लोग व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं। इस दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
*पूजा का कब है शुभ मुहूर्त।*
पंडित सुरेंद्र झा के अनुसार 22 नवंबर को रात 11.03 कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि का आरंभ है। पूजा का समय 23 के सुबह 6.50 से सुबह 8.09 एवं रात्रि पूजा का मुहूर्त शाम 5.25 से रात 8.46 मिनट तक है। जबकि व्रत पारण का समय 24 नवंबर को सुबह 6.51 से सुबह 8.57 पर होगा। सामान्य तौर पर इस साल 23 नवंबर बृहस्पतिवार को देवोत्थान एकादशी का तिथि निर्धारित है। देवोत्थान एकादशी पर ही रात में शालिग्राम और तुलसी माता का विवाह होता है।
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