Bhai Dooj 2023:आज है भाई दूज/ गोधन, जानिए जमशेदपुर और आदित्यपुर में कैसे महिलाओं ने मनाया गोधन, भाइयों को समर्पित इस पर्व में क्यों देते हैं उन्हें श्राप, क्यों कूटते हैं गोधन?

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*Bhai Dooj 2023:

भारत में भाई दूज का त्योहार हिंदू धर्म के लोगों के लिए प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है. हर साल भाई दूज का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. आज भाई दूज पर जमशेदपुर, आदित्यपुर समेत पूरे इलाके में महिलाओं ने उत्साह के साथ गोधन के गीत गाए. महिलाओं ने परंपरा के अनुसार भाइयों को श्राप दिया और गोधन कूटा.आदित्यपुर के शांतिनगर सोसाइटी में महिलाओं ने मिल जुलकर गोधन मनाया.

भाई दूज पर कई राज्यों में लोग अलग-अलग परंपराओं के अनुसार पूजा करते हैं. बिहार में भाई दूज पर बहनें पारंपरिक तरह रूप से बजरी खिलाती हैं. मान्यताओं के अनुसार इस दिन पर बजरी खिलाने का बहुत अधिक महत्व है. साथ ही झारखंड और उत्तर प्रदेश में भाई दूज पर बहनें पहले अपने भाइयों को मरने का श्राप देती हैं और खूब कोसती भी हैं. परंपरा के अनुसार श्राप देने और कोसने के बाद माफी भी मांगती हैं. उसके बाद अपनी जीभ पर कांटा चुभाती हैं और कहती हैं-जिस मुंह से श्राप दिया उसमें कांटा गड़ जाए.

मान्यताओं के अनुसार भाइयों को कोसने के बाद मृत्यु का भय नहीं रहता है. भगवान यम से बहनें फिर प्रार्थना भी करती हैं कि उनके भाईयों को किसी प्रकार का डर न रहे.

इसके अलावा भाई दूज के दिन कई राज्यों में भाई को टीका लगाने और नारियल देने की प्रथा है.इसके अलावा गोधन कूटने की भी परंपरा होती है.

क्यों होती है गोधन कूटने की परंपरा?
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गोधन कूटने की भी परंपरा को मुख्य रूप से भाई की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है. गोधन में विशेष प्रकार के कांटों को ओखली में कूटा जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार गोधन कूटने से भाई बहन के जीवन में संकट नहीं आता है और उनका रिश्ता मजबूत भी होता है.

इस परंपरा के अनुसार गोबर की एक मूर्ति बना कर उसके उपर ईंटों को रखकर बहने उसे डंडे से या मूसल से तोड़ती हैं. ऐसी मान्यता है कि गोधन कूटने से भाईयों के जीवन से संकट दूर हो जाते हैं. गोधन कूटने के समय बहनें गीत भी गाती हैं. गोधन को कूटने के बाद बहनें अपने-अपने भाइयों को तिलक लगाकर चने खिलाती हैं.

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन इस परंपरा का पालन करने से यमुना माता और यमराज देव खुश होते हैं और मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं.

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