संवाददाता
जमशेदपुरः ब्राम्हण युवा शक्ति संघ का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को जिले के उपायुक्त से मिलकर दस सूत्री मांगों के संबंध में एक ज्ञापन सौंपा. सौंपे गए ज्ञापन के माध्यम से संघ के प्रमुख विश्वजीत पांडेय ने बताया कि वर्तमान परिवेश में चाहे वो राज्य की सरकार हो या केन्द्र की सरकार दोनों ही ब्राम्हणों के साथ न्याय नहीं कर रही. उन्होंने बताया कि आज के दौर में सबसे ज्यादा उपेक्षित ब्राम्हण ही हो रहे हैं. इसके लिए जिले के उपायुक्त से ब्राम्हणों के लिए अलग से श्रेणी बनाए जाने की मांग की, पंडितों द्वारा निर्मित जन्म कुंडली एवं पत्रिका को सरकारी मान्यता प्रदान की जाए, पंडितों द्वारा संपन्न कराई गई शादी को वैद्द प्रमाण पत्र के रूप में मान्यता प्रदान की जाए, श्मशान समिति द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र में अंतिम क्रिया में शामिल पंडित का हस्ताक्षर अनिवार्य किया जाए. इसके अलावा उन्होंने मांग की कि सभी मंदिरों के पुजारियों एवं श्मशानों के पंडितों को सरकार द्वारा वेतन दी जाए. संस्कृत भाषा की पढ़ाई को सभी कक्षा के लिए अनिवार्य विषय बनाए जाने एवं सभी बोर्डों में इसे सख्ती से लागू किए जाने की बातें भी उन्होंने सौंपे गए ज्ञापन के माध्यम से बताई. श्री पांडेय ने जिले के उपायुक्त से जिले में संस्कृत विश्वविद्यालय विद्यालय एवं महाविद्यालय खोले जाने की मांग की, साथ ही मंदिर परिसर से सौ मीटर से अधिक दूरी पर ही शराब दुकानों का लाईसेंस निर्गत किया जाए एवं ब्राम्हणों के गुरू परशुराम की जयंती पर सरकारी अवकाश की घोषणा करने संबंधी मांग उनके द्वारा की गई. इस दौरान अप्पू तिवारी, अंकित आनंद, निर्मल दिक्षित, विजय ओझा, आनंद पांडेय, पंडित किशोर चटर्जी, साकेत पांडेय, मोनू तिवारी, अखिल पांडेय समेत कई ब्राम्हण कुमारों नें एक सुर में विश्वजीत पांडेय की मांगों के समर्थन में जोरदार नारेबाजी करते हुए इसे जिला प्रशासन के लिए महज चेतावनी बताते हुए कहा कि यदि जिला प्रशासन उनकी मांगों को लेकर जल्द ही कोई ठोस निर्णय नहीं लेती है तो वे आक्रामक शैली में प्रदर्शन के लिए बाध्य हो जाएंगे. साथ ही सभी ब्राम्हण कुमारों ने राज्य के मुख्यमंत्री के नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए उम्मीद जताई कि राज्य के मुख्यमंत्री ब्राम्हणों को उचित सम्मान दिलाएंगे.
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