Jharkhand Good News :सरकारी स्कूलों में मातृभाषा आधारित शिक्षा

स्थानीय भाषा में प्रचार-प्रसार कर जरूरतमंदों को योजनाओं से जोड़ रही हेमन्त सरकार

210

रांची। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन विभिन्न अवसरों पर अक्सर कहते हैं कि देश के कई राज्य आज अपनी परंपरा, संस्कृति और भाषा को साथ लेकर अग्रणी राज्यों में शामिल हैं। लेकिन, झारखण्ड में यहां की स्थानीय भाषाओं को प्रमुखता नहीं दी गई। यही वजह है कि झारखण्ड पिछड़ा रहा और सरकार की योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ लोगों को नहीं मिल पाया। अगर स्थानीय भाषा में उन्हें योजनाओं की जानकारी दी जाती तथा स्थानीय भाषा में उनसे संवाद होता, तो योजना का लाभ लोगों को जरूर प्राप्त होता। मुख्यमंत्री की पहल पर राज्य के सभी अधिकारी और कर्मचारी अब जोहार शब्द से अपना संवाद शुरू करने लगे हैं।

*सरकार कर रही प्रयास*

सरकार स्थानीय भाषाओं का प्रचार-प्रसार कर रही है। सरकार की योजनाओं की जानकारी और उसका लाभ अधिक से अधिक लोगों को देने हेतु सरकार ने यह प्रयास शुरू किया है। अभी हाल में 100 यूनिट मुफ्त बिजली योजना की जानकारी हिंदी, नागपुरी, हो, संथाली, मुंडारी और कुडुख भाषा में प्रचारित-प्रसारित कराया गया, ताकि लोगों को योजना की जानकारी के साथ लाभ मिल सके।

*स्थानीय भाषा में अधिकारी करें लोगों से संवाद*

विगत दिनों मुख्यमंत्री सिविल सर्विस डे समारोह में कहा था कि झारखण्ड में अधिकारियों तथा पदस्थापित होने वाले अधिकारियों को स्थानीय भाषा की जानकारी होनी चाहिए, जिससे वे अपनी बात लोगों तक सार्थक ढंग से पहुंचा सकें और उनसे संवाद कर सकें। ऐसा होने से लोग उनकी बातों को आसानी से समझकर उसपर अमल करेंगे। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को इस दिशा में उचित कदम उठाने का निर्देश भी दिया है।

*स्कूलों में भी मातृभाषा में शिक्षा*

स्थानीय भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से पांचवीं तक की पढ़ाई हो, संथाली, कुडुख, मुंडारी और खड़िया में कराने का निर्णय लिया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत पश्चिमी सिंहभूम, साहिबगंज, लोहरदगा, खूंटी, सिमडेगा और गुमला में इसे शुरू किया गया है, जिससे बच्चों को मातृ भाषा आधारित शिक्षा प्राप्त हो सके।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More