चाईबासा।केंद्र सरकार द्वारा जनविरोधी अग्निपथ सेना भर्ती के खिलाफ चाईबासा में कोल्हान विश्वविद्यालय छात्र संघ, आईटीआई संस्थान, विभिन्न सामाजिक संगठनों एवं चाईबासा के विभिन्न मेस के विद्यार्थियों द्वारा विरोध प्रदर्शन करते हुए भारत बंद का समर्थन किया। इस दौरान चाईबासा में पैदल मार्च निकालकर नारेबाजी करते हुए सभी दुकानदारों से बंदी में सहयोग करने का आग्रह किया गया।
टाटा कॉलेज विश्वविद्यालय प्रतिनिधि मंजीत हासदा ने कहा जहां एक ओर सरकार संसाधनों का अभाव दिखा कर रोजगार की कमी का औचित्य बताती है वहीं प्रधान मंत्री के दफ्तर, आवास, हवाईजहाज, गाड़ियों के काफिले, हजारों की संख्या में सुरक्षा कर्मी जैसे मद में लाखों करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं।
इन घोर विडंबनाओं के बीच जब दो सालों से रेलवे, अर्धसैनिक बल, केंद्र व राज्य सरकारों के विभाग आदि में भर्तियां न के बराबर हुई हों, रातों रात फौज के लाखों नियमित भर्तियों की जगह चार साल के ठेका भर्ती की घोषणा ने इन नौजवानों के सारे धैर्य का चकनाचूर हुई । विरोध प्रदर्शन के माध्यम से हम सभी मांग करते हैं की इस जनविरोधी अग्निपथ योजना को अभिलंब वापस ले, और पहले से चली आ रही सेना की रेगुलर भर्ती में जितने भी खाली पद अभिलंब भरा जाए। ऐसा यदि नहीं होता है तो आने वाले दिनों में पूरे कोल्हान के छात्र समुदाय उग्र रूप से आंदोलन करेंगे।
पीजी विभाग छात्रसंघ अध्यक्ष सनातन पाठ पिंगुआ ने कहा वर्तमान परिस्थितियों में यह मानता है कि पिछले आठ सालों में देश के नौजवानों के साथ घोर अन्याय हुआ है। उनके शिक्षा और रोजगार के अवसरों को समाप्त कर मित्र- पूंजीपतियों के लिए सस्ता मजदूर मुहय्या करवाने का काम किया गया है। देश में सांप्रदायिकता की आग लगा कर नौजवानों को दिग्भ्रमित व हिंसक बनाया गया है। देश के कई हिस्सों में अग्निपथ के विरोध में हो रही घटनाएं सरकार के इन्हीं नीतियों और अदूरदर्शी कार्यकलापो का ही परिणाम है।
पूर्व छात्रसंघ सचिव कार्तिक महतो ने कहा नौजवानों के साथ न्याय करे। अग्निपथ जैसे घटिया प्लान को निरस्त कर नियमित भर्ती जल्द से जल्द करे। साथ ही युवाओं को आश्वस्त करे कि सरकार सिर्फ मित्र-पूंजीपतियों और सत्ताधारी दल के नेताओं व परिवारों के लिए ही नहीं बल्कि वुवाओं के लिए भी सोंचती है।
आदिवासी यंगस्टर यूनिटी के सदस्य रेयान्स समाड ने कहा मोदी सरकार ने आठ सालों में युवाओं के साथ बेहिसाब नाइंसाफी की है। जानबूझ कर, सुनियोजित तरीके से नौकरियां समाप्त की गई है और रोजगार के रास्ते बंद किये गए हैं। पूरी पीढी को दिहाड़ी मजदूर बना दिया गया है। ऊपर से स्किल इंडिया, स्वरोजगार जैसे नए-नए जुमले से हेडलाइन बटोरने की कुंठा इन बेरोजगार युवकों के जले पर नमक छिड़कने का एहसास दिलाता रहा है।
इस बंदी के दौरान मुख्य रूप से टाटा कॉलेज छात्र संघ विश्वविद्यालय प्रतिनिधि मंजीत हासदा, पीजी विभाग छात्र संघ सनातन पिंगुआ , पूर्व छात्र संघ कार्तिक महतो ,रेयांश समाड, भगवान सवाइयाँ,बलराम मरडी, गुरुचरण तिउ, विवेक पूर्ति, अभिजीत पाठ पिंगुआ, दीपेश बिरुआ, दीपक नायक, ठाकुर टुडू, मासूम पूर्ति,अजय हेमब्रम, अविनाश गोंड,वीर सिंह, गुलशन, अरविंद, शशि सहित सैकड़ों विद्यार्थी शामिल रहे।
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