
बि जे एनएन ब्यूरो ,रांची : एक बार फिर विशेष राज्य की मांग का मसला झारखंड में भी गरमा गया है। शुक्रवार को बिहार विधानसभा में यह मसला जोरशोर से गूंजा तो शनिवार को झारखंड विधानसभा में इस मामले की गूंज सुनाई दी। सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक स्वर में राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने की मांग मजबूती से उठाई। इतना ही नहीं विशेष दर्जे के लिए आजसू और झाविमो ने संयुक्त रूप से दो मार्च को झारखंड बंद का एलान कर दिया है। इसी दिन बिहार को विशेष दर्जे की मांग पर जदयू ने पहले ही बिहार बंद का एलान कर रखा है। 1शुक्रवार को झारखंड विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही सदस्यों ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठाते हुए शोरगुल शुरू कर दिया। स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता के समझाने के बावजूद शोरगुल जारी रहा। बाद में किसी तरह सदस्यों को समझाकर स्पीकर ने बारी-बारी से सबको बोलने का मौका दिया। भाजपा के रघुवर दास ने विपक्ष का प्रतिनिधित्व करते हुए मामले को उठाया। कहा, सीमांध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने से आपत्ति नहीं है लेकिन झारखंड को भी यह दर्जा हासिल होना चाहिए। सदन प्रस्ताव पारित करे। आजसू विधायक दल के नेता सुदेश महतो, झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव, भाजपा के सीपी सिंह, माले के विनोद सिंह और जदयू के गोपाल कृष्ण पातर ने झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के लिए अपनी-अपनी दलील दी और सदन से इस संदर्भ में प्रस्ताव पारित करने की मांग की। कुछ सदस्यों ने झारखंड की उपेक्षा के लिए केंद्र सरकार के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पारित करने की बात भी कही, जिस पर संसदीय कार्यमंत्री राजेंद्र सिंह उखड़ गए। उन्होंने कहा कि विशेष राज्य के दर्जे के हम भी समर्थक हैं, लेकिन निंदा प्रस्ताव की बात करेंगे तो कुछ बात नहीं होगी। कांग्रेस विधायक राजेश रंजन, बन्ना गुप्ता, अनंत प्रताप देव और राजद के संजय सिंह यादव ने विशेष राज्य का दर्जा न मिलने के लिए विपक्ष के सांसदों को दोषी ठहराया। कुल मिलाकर चालीस मिनट चली पक्ष-विपक्ष की इस बहस का परिणाम कुछ नहीं निकला और प्रश्नकाल बाधित हुआ। 1सदन में इस मसले को उठाने के बाद पत्रकारों से बातचीत में दोनों ही दलों ने संयुक्त रूप से बंद की घोषणा की। प्रदीप यादव और सुदेश महतो ने कहा कि सीमांध्र को राजनीति से प्रेरित होकर विशेष राज्य का दर्जा दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में हम चुप नहीं रहेंगे।राज्य ब्यूरो, रांची : विशेष राज्य की मांग का मसला झारखंड में भी गरमा गया है। कल बिहार विधानसभा में यह मसला जोरशोर से गूंजा तो शनिवार को झारखंड विधानसभा में इस मामले की गूंज सुनाई दी। सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक स्वर में राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने की मांग मजबूती से उठाई। इतना ही नहीं विशेष दर्जे के लिए आजसू और झाविमो ने संयुक्त रूप से दो मार्च को झारखंड बंद का एलान कर दिया है। इसी दिन बिहार को विशेष दर्जे की मांग पर जदयू ने पहले ही बिहार बंद का एलान कर रखा है। 1शुक्रवार को झारखंड विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही सदस्यों ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठाते हुए शोरगुल शुरू कर दिया। स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता के समझाने के बावजूद शोरगुल जारी रहा। बाद में किसी तरह सदस्यों को समझाकर स्पीकर ने बारी-बारी से सबको बोलने का मौका दिया। भाजपा के रघुवर दास ने विपक्ष का प्रतिनिधित्व करते हुए मामले को उठाया। कहा, सीमांध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने से आपत्ति नहीं है लेकिन झारखंड को भी यह दर्जा हासिल होना चाहिए। सदन प्रस्ताव पारित करे। आजसू विधायक दल के नेता सुदेश महतो, झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव, भाजपा के सीपी सिंह, माले के विनोद सिंह और जदयू के गोपाल कृष्ण पातर ने झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के लिए अपनी-अपनी दलील दी और सदन से इस संदर्भ में प्रस्ताव पारित करने की मांग की। कुछ सदस्यों ने झारखंड की उपेक्षा के लिए केंद्र सरकार के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पारित करने की बात भी कही, जिस पर संसदीय कार्यमंत्री राजेंद्र सिंह उखड़ गए। उन्होंने कहा कि विशेष राज्य के दर्जे के हम भी समर्थक हैं, लेकिन निंदा प्रस्ताव की बात करेंगे तो कुछ बात नहीं होगी। कांग्रेस विधायक राजेश रंजन, बन्ना गुप्ता, अनंत प्रताप देव और राजद के संजय सिंह यादव ने विशेष राज्य का दर्जा न मिलने के लिए विपक्ष के सांसदों को दोषी ठहराया। कुल मिलाकर चालीस मिनट चली पक्ष-विपक्ष की इस बहस का परिणाम कुछ नहीं निकला और प्रश्नकाल बाधित हुआ। 1सदन में इस मसले को उठाने के बाद पत्रकारों से बातचीत में दोनों ही दलों ने संयुक्त रूप से बंद की घोषणा की। प्रदीप यादव और सुदेश महतो ने कहा कि सीमांध्र को राजनीति से प्रेरित होकर विशेष राज्य का दर्जा दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में हम चुप नहीं रहेंगे।
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