राजकुमार झा
मधुबनी।
पुरे इलाके में डीजे के कान फाडू आवाजऔर फूहर द्वि अर्थी अश्लील गीतों के प्रचलन से आम लोग परेशान है.लोगो को यह समझ में नही अती है की ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून निष्प्रभावीकैसे हो गया है . कानूनो की खुले आम धज्जियां उड़ रही है ।
फिर भी अधिकारी मौन क्यों है .डीजे साउंड का इतना प्रचलन बढ़ गया है कीशादी विवाह मुंडन पूजा संकीर्तन या कोई धार्मिक उत्सव में धरल्ले से
उपयोग किया जारहा है .
डीजे साउंड के कान फाडू आवाज से ह्रदय और मन को भी रोगी बना देती है । ऊपरसे फूहर द्विअर्थी गीत अप संस्कृति एवं अपराध को बढ़ावा दे रहा है ।
अंधराठाढ़ी रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ उमेश राय के
मुताविक ध्वनि प्रदूषण का बुरा असर मनुष्य के कान मस्तिष्क ह्रदय आदि पर
पड़ता है । मानवीय कान 40 डेसीबल तक ध्वनि को सह सकता है । उससे अधिक
होने पर ध्वनि सेहत को बिगाड़ने लगता है ।तेजी से बढ़ता ध्वनि प्रदूषण
से वहरे , पागल और ह्रदय रोगीयों की संख्या बढ़ सकती है .
कहते हैं अधिकारी अंचलाधिकारी रविन्द्र मिश्र के मुताविक ध्वनि विस्तारकयंत्र बिना अनुमति के बजाना क़ानूनी अपराध है। डीजे साउंड वजना पूर्णप्रतिबंधित है . ध्वनि विस्तारक यंत्र बजाने के लिए अनुमंडल पदाधिकारी के यहाँ से अनुमति मिलती है। आवाज मोडरेड सिस्टम में बजाने का आदेश दियाजाता है। इसतरह बिना अनुमति के साउंड बजाने की सुचना मिलते ही तत्कालप्राथमिकी दर्ज कर उपयोग हुए बाजा और बाहन को जब्द कर लिया जायेगा।
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