दुमका
दुमका के पूर्व सांसद बटेश्वर हेम्ब्रम का निधन हो गया है. वह लंबे समय से बीमार थे. 87 वर्ष के बटेश्वर हेम्ब्रम दुमका जिला के सरैयाहाट प्रखंड के खिरधना-कोठिया गांव के रहने वाले थे. वर्ष 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. चुनाव में उन्हें 49.45 फीसदी मत मिले थे.
बटेश्वर हेम्ब्रम की ईमानदारी की मिसाल आज भी दुमका जिला में दी जाती है. उनके मित्रों और करीबियों को इस बात पर फक्र महसूस होता है कि कि बटेश्वर जैसी शख्सीयत के वे करीब रहे.
हिंदी, संताली और संस्कृत विषय में एमए की पढ़ाई करने वाले बटेश्वर हेम्ब्रम पेशे से शिक्षक थे. उनकी ईमानदारी और समाजसेवा की भावना से लोग काफी प्रभावित थे. इसलिए कुछ मित्रों ने उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया.
तब इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जनता पार्टी की लहर चल रही थी. भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए राजनीतिक आंदोलन में बटेश्वर भी शामिल थे. जयप्रकाश नारायण की अगुवाई वाली जनता पार्टी ने उन्हें टिकट दिया और 1977 में छठी लोकसभा के लिए हुए चुनाव में बटेश्वर हेम्ब्रम ने जीत दर्ज की.
संसद में वह आम जन की आवाज बनकर उभरे. आदिवासियों के मुद्दे उठाये. उन्हें रेलवे बोर्ड का सदस्य भी बनाया गया. कई बार उन्हें दौलत और शोहरत का लालच दिया गया, लेकिन इस शिक्षक ने तमाम ऑफर ठुकरा दिये.
वह कहते थे कि राजनीति उनके लिए पैसा कमाने का जरिया नहीं है. हेडमास्टर थे. अच्छा-खासा वेतन मिलता था. यदि पाप की कमाई करनी होती. दौलत और शोहरत की चाहत होती और और बहुत कुछ कर सकते थे, राजनीति में एक उद्देश्य से आये हैं. वह है समाज सेवा. आदिवासी समाज और अपने क्षेत्र के पिछड़ेपन का मुद्दा उठाने के लिए लोगों ने उन्हें अपना सांसद चुना है. इस कर्म से वे पीछे नहीं हटेंगे.
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