जमशेदपुर । औद्योगिक नगर अथवा नगर निगम बनाने के संदर्भ में कुछ दिन पूर्व आपसे हुई संक्षिप्त वार्ता का कृपया स्मरण करेंगे. मेरी जिज्ञासा थी कि जमशेदपुर के एक सामाजिक कार्यकर्ता श्री जवाहर लाल शर्मा द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दायर की गई याचिका के संदर्भ में नगर विकास विभाग, झारखंड सरकार ने विगत 7.9.2018 को सर्वोच्चन्यायालय के समक्ष एक प्रतिशपथ दायर किया है उससे आप अवगत हैं या नही. आपने इससे अनभिज्ञता प्रकट की. याचिका में श्री शर्मा ने सर्वोच्च न्यायालय से प्रार्थना किया है कि जमशेदपुर शहर को एक स्वायत्तशासी नगर निगम बनाया जाय ताकि यहाँ कि जनता अपने तीसरे मताधिकार का प्रयोग कर स्वायतशासी निकाय गठित करने में अपनी भूमिका निभा सके.
मुझे तो उम्मीद थी कि जमशेदपुर पश्चिमी विधान सभा क्षेत्र का प्रतिनिधि होने के कारण नगर विकास विभाग जमशेदपुर में पूर्णतः या अंशतः नगर निगम गठित करने के बारे में मुझसे भी परामर्श करेगा अथवा सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दायर किये जानेवाले प्रतिशपथ से अवगत करायेगा. आपको मालूम है कि भारत का संविधान के अनुच्छेद 243Q के अनुसार किसी नगरीय क्षेत्र विशेष को नगर निगम अथवा औद्योगिक क्षेत्र घोषित करना एक नीतिगत विषय है और इस बारे मे नगर विकास विभाग द्वारा सर्वोच्च न्यायालय मे दायर किये गये हलफनामा पर विभागीय मंत्री की स्वीकृति आवश्यक है. यदि विभागीय अधिकारियों ने इस मामले में आपकी स्वीकृति नही ली है तो मेरी समझ में इसे विधिसम्मत नही कहा जा सकता है. आपको स्मरण होगा कि विगत एक वर्ष से अधिक समय से मैं प्रयासरत हूँ कि इस मुद्दे पर आपके और माननीय मुख्यमंत्री के साथ मेरी एक बैठक हो जाय, पर अबतक ऐसा हो नही सका है. आप अवगत है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र, जमशेदपुर पश्चिम, का बड़ा भूभाग और वहाँ निवास करने वाली जनता सरकार के इस निर्णय से प्रभावित होगी.
इस बीच सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष इस विषय मे नगर विकास विभाग द्वारा दायर किये गये हलफनामा का प्रारूप मैने प्रयत्नपूर्वक देखा है. यह घोर असंतोषजनक भी है और विरोधाभासी भी है. एक ओर नगर विकास विभाग ने इस हलफनामा के साथ तत्कालीन प्रधान सचिव, नगर विकास विभाग द्वारा टाटा स्टील लि०, जमशेदपुर के प्रबंध निदेशक को लिखापत्र संख्या 767/प्र०स०को०, दिनांक 19.12.17 संलग्न किया है जिसके अनुसार यदि टाटा स्टील लि० जमशेदपुर को औद्योगिक शहर बनाने के लिये 31 दिसंबर, 2017 तक अपने ‘‘निदेशक मंडल‘‘ की स्वीकृति सरकार को संसूचित नही करती है तो सरकार जमशेदपुर को नगर निगम बना देने के लिये बाध्य होगी. इसके पूर्व 7.11.2017 को सरकार की एकऔर चिट्ठी टाटा स्टील लि० को भेजी गई है जिसमें जमशेदपुर को औद्योगिक नगर बनाने के प्रस्ताव पर टाटा स्टील के ‘‘ निदेशक मंडल‘‘ की स्वीकृति से नगर विकास विभाग को अवगत कराने के लिये कहा गया है.
दूसरी ओर हलफनामा में नगर विकास विभाग ने सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया है कि चुकि जवाहर लाल शर्मा के आवेदन मे कुछ भी नया नहीं है इसलिये इसे खारिज कर दिया जाय. जबकि जवाहर लाल जी ने अपनी याचिका में सर्वोच्च न्ययालय से एक ही स्पष्ट प्रार्थना की है कि जमशेदपुर में नगर निगम गठित किया जाय. जब सरकार भी टाटा स्टील के रवैया को देखते हुये जमशेदपुर को नगर निगम बनाने की बाध्यता की मंशा करीब 9.30 माह पहले व्यक्त कर चुकी है और यही प्रार्थना श्री जवाहर लाल शर्मा जी ने भी अपनी याचिका में की है, तब सरकार द्वारा उनकी यह याचिका खारिज करने के लिये हलफनामा के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध करना कितना तर्कसंगत है ?
सर्वोच्च न्यायालय राज्य सरकार के इस हलफनामा को कितनी गंभीरता से लेता है यह तो समय बतायेगा पर प्रथमदृष्ट्या मुझे लगता है कि इसे तैयार करनेवाले अधिकारियों ने एक गम्भीर विषय पर बहुत ही सतही एवं हल्का रवैया अपनाया है. उन्होने इस बारे मे विभागीय मंत्री को भी विश्वास मे लेने/अवगत कराने के सामान्य प्रशासनिक एवं वैधानिक शिष्टाचार/दायित्व का परिपालन नही किया है. सवाल उठता है कि एक गम्भीर नीतिगत विषय पर प्रशासनिक एवं वैधानिक दृष्टिकोण निर्धारित करने के मामले मे उन्होंने आखिर परामर्श अथवा निर्देश लिया किससे है ?
आपको मालूम है कि 2005 में नवीकृत राज्य सरकार एवं टाटा स्टील लि० के बीच हुये लीज समझौता के अनुसार टाटा स्टील को अपने खर्चा पर पानी, बिजली, सफाई सहित अन्य सभी नागरिक सुविधायें जमशेदपुर की जनता को देनी है और उतना ही शुल्क वसूलना है जितना दर राज्य सरकार ने अपनी नगरपालिकाओं के लिये निर्धारित किया है. परंतु टाटा स्टील द्वारा इस समझौता का पालन नही किया जा रहा है. नतीजतन जमशेदपुर की जनता का एक बड़ा भाग मौलिक नागरिक सुविधाओं से बंचित है. टाटा स्टील कभी भी यह नही बताता है कि वह किस नागरिक सुविधा पर प्रति वर्ष कितना व्यय कर रहा है और इस संदर्भ में इसकी प्राथमिकतायें क्या हैं ? एक तरह से लीज नवीकरण समझौता मे नागरिक सुविधायें कम्पनी द्वारा अपने खर्च पर मुहैया कराने का प्रावधान तो सरकार और टाटा स्टील के बीच जमशेदपुर की जनता की भलाई के लिये किया गया है पर जमशेदपुर के एक बड़े भू-भाग की जनता इन सुविधाओं से लीज समझौता होने के 33 वर्ष बाद और लीज नवीकरण समझौता होने के 13 साल बाद भी वंचित है. पेयजल सुविधा सभी नागरिकों तक पहुँचाना राज्य सरकार का दायित्व है. इसपर जमशेदपुर नगर निगम बनेगा कि औद्योगिक शहर बनेगा इसका प्रभाव नही पड़ना चाहिये. इसके बावजूद जमशेदपुर इन दो पाटों के बीच पिस रहा है. इसका समाधान शीघ्र होना चाहिये.
उपर्युक्त विवरण के आलोक में विनम्र अनुरोध है कि इस विषय में आप दूरगामी एवं गम्भीर दृष्टिकोण युक्त सार्थक हस्तक्षेप करने की कृपा करेंगे ताकि जमशेदपुर की जनता के लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक अधिकारों के साथ न्याय हो सके और आगे जाकर इस संदर्भ मे यह कहावत नही चरितार्थ हो कि ‘‘लमहों ने खता की, सदियों ने सजा पायी‘‘.
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