जमशेदपुर-डीएवी बिष्टुपर मामले में डीएसई को जाँच का आदेश

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भाजपा के जिला प्रवक्ता अंकित आनंद ने किया था लिखित शिकायत

स्कूल के लगभग 75% सीट विभिन्न कोटा के तहत आरक्षित रखने को बताया था भारतीय संविधान का उल्लंघन

जमशेदपुर। एंट्री कक्षा के लिए स्कूल में हुए लॉटरी विवाद में डीएवी बिष्टुपर स्कूल को राहत मिलती हुई नहीं दिख रही। क़ानूनी रूप से घोषित 25 प्रतिशत सीटों पर अभिवंचित वर्ग के बच्चों के आरक्षण के अलावे स्कूल प्रबंधन की ओर से शेष सीटों को मैनजमेंट कोटा और अन्य श्रेणियों में वर्गीकृत कर अलग अलग लॉटरी कराई गयी थी। यह कानूनतः गलत और सभ्य समाज में भेदभाव, वैमनस्य और असमानता फैलाने वाली निर्णय है। विभिन्न समाचार पत्रों में यह ख़बर प्रकाशित होने के उपरांत भारतीय जनता पार्टी के जिला प्रवक्ता सह भ्रष्टाचार के मामलों में विस्सल ब्लोअर की भूमिका निभाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अंकित आनंद ने इस मामले पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त किया था। उन्होंने इस लॉटरी को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में आम नागरिकों को प्रद्दत समानता का अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन बताया था। वहीं सीबीएसई बोर्ड से संबद्धता प्राप्त डीएवी बिष्टुपर स्कूल ने बोर्ड के संबद्धता शर्तों का भी सरेआम उल्लंघन कर बोर्ड को ठेंगा दिखाया था। बोर्ड के संबद्धता नियमावली और आरटीई कानून में भी यह स्पष्ट है कि स्कूलों को बिना किसी जाती,मत,मज़हब,भाषा,या अन्य किसी वर्ग विशेष में भेदभाव और वर्गीकृत किये एक सामान्य प्रक्रिया के तहत ही सभी बच्चों का दाखिला लेना होगा। डीएवी बिष्टुपर स्कूल मामले में सभी प्रावधानों को ताक पर रखते हुए शिक्षा विभाग के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में ही भारतीय संविधान की सरेआम अवमानना हुई थी। पिछले दिनों 15 जनवरी को इस आशय की लिखित शिकायत अंकित आनंद द्वारा राज्य सरकार से की गयी थी। शिकायत पर संज्ञान लेते हुए सरकार ने इस मामले की जाँच सूबे के प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के उप सचिव को अग्रेसित किया था। अब विभाग की ओर से इस मामले की जाँच कर कार्यवाई का ज़िम्मा पूर्वी सिंहभूम के शिक्षा अधीक्षक और आरटीई के नोडल पदाधिकारी बाँके बिहारी सिंह को सौंपी गयी है। इस आशय की जानकारी देते हुए भाजपा नेता अंकित आनंद ने कहा कि इस मामले में जिला शिक्षा अधीक्षक से उचित कार्यवाई की अपेक्षा है। यह आंदोलन मेरी निज़ी नहीं, अपितु भारतीय संविधान की अवमानना और सैड़कों अभिभावकों के संग हुए अन्याय के ख़िलाफ़ है। कहा कि यदि स्थानीय शिक्षा विभाग मामले में सहयोग नहीं करेगा तब माननीय न्यायालय के शरण में जाने के लिए वे बाध्य होंगे।

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