जो मंजिल तक चलते हुए सिकवा करते है वे मंजिल पहुंचा नहीं करते और जो सिकवा नहीं करते वहीं मंजिल तक पहुंचा करते है ।
संवाद सूत्र जादूगोड़ा 04-041-2015
जादूगोड़ा युसील कालोनी सामुदायिक भवन के सामने भागवत प्रेमी संघ के तत्वाधान मे हो रहे श्री राम कथा अमृत वर्षा के छठे दिन श्रीराम कथा सुना रहे वृन्दावन के प्रख्यात श्री राम कथा वाचक श्री सुधीर जी महाराज ने शुक्रवार की कथा से आगे बढ़ते हुए कहा की भगवान श्री राम ने धनुष रूपी अभिमान को भंग कर राजाओ के अभिमान को नष्ट किया और भक्ति रूपी जानकी के साथ वरन किया तात्पर्य यह है की जबतक जीव मे मय रूपी अहंकार रहेगा तबतक उसका भक्ति से साक्षात्कार नहीं होगा और अगर भक्ति नहीं मिलेगी तो भगवान भी नहीं मिल सकते और जहां भक्ति है वहीं भगवान है भगवान ने परशुराम जी के पुण्याभिमान को नष्ट किया और उन्हे अपना साक्षात्कार कराया क्यो कराया क्योंकि परशुराम जी महाराज ने अपने आपको भगवान के चरणों मे समर्पित किया और भगवान ने उनके भावो को स्वीकार किया तदोपरांत वो तप करने चले गए ।
तदोपरांत भगवान का विवाह सम्पन्न हुआ और इसके साथ राम , लक्ष्मण , भरत , शत्रुघन के साथ अवध पधारे और अवध वाशी बहुत प्रशन्न हुए और अवध मे उत्सव मनाने गए उन्होने कहा की समर्पण से ही भगवान की प्राप्ति होती है और जीव जबतक समर्पण नहीं करता है जब तक उसे कष्ट नहीं मिलता और कष्ट मिलने के बाद वो भगवान को याद करता है ।
सुधीर जी महाराज ने कहा की हिना रंग लाती है रगड़ खाने के बाद , और सोना रंग लाता है तप जाने के बाद और मनुष्य रंग लाता है ठोकर खाने के बाद और संघर्ष के बिना भगवान कहाँ , आगे कहा की जो मंजिल तक चलते हुए सिकवा करते है वे मंजिल तक पहुंचा नहीं करते और जो सिकवा नहीं करते वहीं मजिल तक पहुंचा करते है जैसे गुलाब का पुष्प है वो कांटो के ऊपर रहता है उसका सुंदरता और सुगंध से सभी को लुभा लेती है ।
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