जमशेदपुर।
शहर के शास्त्रीय संगीत को समर्पित संस्था बंसी बोस म्यूजिक फाउंडेशन के तत्वाधान में बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन सभागार मे छठा वार्षिक संगीत समारोह “स्वर यात्रा” का आयोजन साज़ – बाज़ एवं आवाज़ के संगम के साथ किया गया I कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि समाज सेवी श्री शेखर डे , बंगाल क्लब के अध्यक्ष श्री तापस मित्रा , यूटीआई म्यूच्यूअल फण्ड , जमशेदपुर के मुख्य प्रबंधक श्री राजेश माइकल एक्का , शास्त्रीय संगीत कलाकार डॉ०वीनापानी महतो एवं अर्जुन पुरस्कार प्राप्त श्री सुब्रत दत्ता के द्वारा माँ सरस्वती एवं स्वर्गीय बंसी बोस के चित्र पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया एवं I इस अवसर पर 20 वीं सदी के हिंदुस्तान के प्रख्यात सितार वादक स्वर्गीय पंडित निखिल बनर्जी के पुण्य तिथि के अवसर पर इस काय्रक्रम के माध्यम से उन्हें श्रधांजलि दी गयी साथ ही देश की प्रख्यात शास्त्रीय संगीत गायिका पद्मविभूषण स्वर्गीय गिरिजा देवी को श्रधांजलि दी गयी I
इसके बाद माँ सरस्वती के दरबार में संगीत साधकों ने अपनी संगीत कला के माध्यम से अपनी हाजरी लगायी I “स्वर यात्रा” में यात्रा के पहले सत्र में शहर की प्रख्यात संगीत गुरु उमा गुहा की शिष्या सुश्री श्रीजनी बासु ने राग भीम पलासी में सरस्वती वंदना पेश की एवं राग यमन , मध्य लय एवं तीन ताल पेश की I तबले पर प्रबीर दास एवं हारमोनियम पर मनमोहन सिंह का सराहनीय सांगत रहा I
दुसरे सत्र में हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत गायक पंडित उल्हास कसलकर के शिष्य कोलकाता के श्री ओमकार दादरकर ने ख्याल गायन पेश किये I उन्होंने अपने मखमली आवाज़ से राग श्याम कल्याण में विलंभित एक ताल में “जियो मेरे लाल ……… , द्रुत तीन ताल में “सावन की सांझ भई………..” एवं राग बसंत में तीन ताल में तराना “फगवा ब्रिज देखन को चलोरी ……… “ एक से बढ़कर एक ख्याल गायन पेश किया I सारंगी पर जनाब सरवर हुसैन एवं तबले पर श्री बिभास शंघाई के सांगत ने कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए I
“स्वर यात्रा” के अंतिम सत्र में सुप्रसिद्ध सितारवादक श्री मणिलाल नाग की सुपुत्री सुश्री मिता नाग सितारवादन पेश की I उन्होंने अपने पहली प्रस्तुति में सितार के तारों में राग सुहा कनाड़ा में आलाप , जोड़ , झाला छेड़ी तो सारा माहौल मधुर सुर लहरियों से गूँज उठा I विलंभित तीन ताल में गत की प्रस्तुति ने सभागार में उपस्थित सभी का मनमोह लिया I सुश्री मीता नाग एवं तबले पर पंडित शंख चटर्जी के शिष्य श्री शुभोज्योती गुहा के बीच साथ संगत एवं सवाल जवाब ने श्रोताओं का मन मोहा I अपनी दूसरी एवं अंतिम प्रस्तुति में एक “धुन” की प्रस्रुती दी जिसमे कई एक रागों के मिश्रण देखने को मिला I
सूरजढलने के बाद रुकती-ठहरती आती शाम और उसके साथ आई सर्द हवाओं ने शनिवार की शाम मानो राग-रागिनियों, लय और ताल के लिबास पहन लिए। सर्द शाम में जब सितार के तार एवं तबले की थाप ने नफासत के साथ जुगलबंदी की तो सर्द हवाओं का एहसास जाता रहा। देर तक संगीत रसिक नायाब जुगलबंदी को अपने भीतर महसूस करते रहे। इस कार्यक्रम में शहर के कई संगीत प्रेमियों ने कार्यक्रम का लुत्फ़ उठाया , पूरा सभागार खचा खच भरा हुआ था I
कार्यक्रम के सफल आयोजन में जमशेदपुर म्यूजिक सर्किल एवं सामाजिक संस्था बंधन के सदस्यों का भरपूर सहयोग रहा I
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