सहरसा-जब टुटा गरीबों के आशियानें तो छलक पड़े आंसू

0 69
AD POST

जब ये लोग खाली जमीन पर बनाते है अशियाने तो कोई देखता क्यो नही ?
बर्षो से रेलवे नही दे रही नये लोगों को दुकान की रसीद
सिमरी बख्तियारपुर(सहरसा) ब्रजेश भारती ।
रेलवे परिषर सौन्द्रर्यकरण के नाम अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत शुक्रवार को दिन भर सिमरी बख्तियारपुर स्टेशन के आसपास दुकानों के साथ – साथ मकानों को भी बुलडोजर से जमींदोज कर दिया गया। दोपहर से लेकर शाम 6 बजे तक अभियान चलाया गया ।
इस दौरान बीते कई वर्षो से वैसे लोग जो घर बना कर यहां अपना तथा अपने परिवार का भरण पोषण रहकर कर रहें लोगो की आँखे गीली हो गई जब तिल-तिल एक-एक तिनका जोड़ अपना बना अशियाना पल भर में उजड़ता देखा।
स्टेशन चौक से दक्षिण दिशा स्थित होटल गली में बीते कई वर्षों से रह रही जोहन मल्लिक की पत्नी मुन्नी देवी के आंसू रुक नही रहे थे वे बताती है कि बारह व्यक्तियों का परिवार बीते बीस साल से एक कुटिया बना जीवन यापन कर रहे थे और आज एक झटके में सड़क पर आ गये । उन्हीं के पड़ोस में रहने वाली उपेंद्र सादा की पत्नी गीता देवी कहती है कि रेलवे के अधिकारी लोगों ने हमे रोड पर ला दिया, अब कहाँ जाये और कैसे रहे समझ नही आता।
वही मालगोदाम रोड में वर्षो से रह रही मंजू देवी भी अपने गम को कम करने के लिये उपर वाले का नाम ले कह रही थी ये सही नही हो रहा है। शुक्रवार दिन भर मंजू देवी की आँखे भींगी रही,फफकते हुए मंजू देवी बताती है कि शादी, बच्चे सहित हर जीवन के हर ख़ुशी और गम का यह घर गवाह था और आज घर की ईंटो को बिखरते देख दिल बैठ गया।
देर शाम जब अतिक्रमण अभियान खत्म हुआ तो जिन लोगों के दुकान व अशियाना उजड़े वे अपने विखड़े पड़े समानों को फिर से चुनने का काम करने लगें।मानों एक हवा का झोंका पल भर में सारा कुछ उड़ा ले गया जो छोड़ा उसे समेट लें।
वही दिन में होटल गली में अतिक्रमण हटाने के दौरान श्रवण गुप्ता की अस्सी वर्षीय माँ द्रोपदी गिर पड़ी हल्की चोटे भी आई,फिर गैस एजेन्सी के समीप प्लाई दुकान से शीशा निकालने के क्रम में एक व्यक्ति का पैर कट गया।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More