
सुधीर कुमार।
सन 1990 के दशक की बात है, जब भारत में संयुक्त मोर्चा की सरकार हुआ करती थी, तब भाजपा सांसद स्व. प्रमोद महाजन सांसदों के एक ग्रुप के साथ चीन गये हुए थे। अब चूँकि चीन में प्रजातंत्र नहीं है, तो वहाँ के कुछ सांसदों ने उत्सुकतावस पूछ लिया कि – “आपके भारत में #डेमोक्रेसी कैसे चलती है?”

स्व. प्रमोद महाजन ने कहा – “मैं आपको अपने सहयोगियों का परिचय कराता हूँ, इस से आपको भारत की डेमोक्रेसी समझ में आ जाएगी। मेरा नाम प्रमोद महाजन है, मैं #लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी का सांसद हूँ, और हम विपक्ष में हैं।” सामने वाला चीनी बंदा चकराया कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है – “आप सबसे बड़ी पार्टी से हैं?” स्व. प्रमोद महाजन ने जबाब दिया – “जी हाँ, मैं सबसे बड़ी पार्टी से हूँ, और हम विपक्ष में हैं।”
फिर उन्होंने एक कांग्रेसी सांसद की ओर इशारा करते हुए कहा – “ये दूसरी सबसे बड़ी पार्टी से हैं, और ये सरकार में नहीं हैं, बल्कि सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं।” चीनी सांसद सोच में पड गया, कि फिर सरकार कौन चला रहा है? फिर स्व. प्रमोद महाजन ने एक कम्युनिस्ट पार्टी के एक सांसद को दिखाते हुए कहा – “ये तीसरी सबसे बड़ी पार्टी से है, ये सरकार को चला रही “संयुक्त मोर्चा” में तो हैं, लेकिन इनकी पार्टी भी सरकार में नहीं हैं।”
उसके बाद, प्रमोद महाजन ने संयुक्त मोर्चा सरकार में मंत्री रमाकान्त खलप की ओर इशारा कर के कहा – “यह श्री रमाकांत खलप हैं, ये अपनी पार्टी के अकेले सांसद हैं, और यही “सरकार” हैं।”
उम्मीद है कि आज सुबह जब सुप्रीम कोर्ट गोवा में सरकार बनाने के मामले की सुनवाई शुरू करेगा, तो उसे यह वाकया याद रहेगा। और, इसके साथ-साथ उसे यह भी याद रहेगा कि किस प्रकार सिर्फ #भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए झारखंड में सभी तथाकथित #सेक्यूलर दलों ने मिल कर एक #निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा को #मुख्यमंत्री बना दिया था, और उसका परिणाम क्या निकला था।
आजादी के बाद से आज तक, भारतीय लोकतंत्र में सिर्फ और सिर्फ संख्याबल ही महत्वपूर्ण रहा है, और #गोवा या #मणिपुर में कुछ भी नया, अलग या अप्रत्याशित नहीं हो रहा है। कांग्रेस के पास अगर संख्या नहीं है, और किसी और के पास है, तो फिर उसके सरकार बनाने पर इतनी हाय-तौबा क्यों? अगर #कांग्रेस के पास संख्या है तो अपने-आप सामने वाला बहुमत नहीं सिद्ध कर पाएगा, और उसकी सरकार गिर जायेगी, लेकिन यहाँ सवाल यह भी उठता है कि अगर कांग्रेस के पास संख्या थी, तो उसके नेताओं को सभी विधायकों के साथ #राज्यपाल से मिलने से किसने रोका था? आज सभी निगाहें तो सुप्रीम कोर्ट पर होंगी, लेकिन उसके पास भी इस मामले में करने लायक कुछ खास नहीं है। #Parrikar #Goa #Manipur #ElectionResults #SupremeCourt