
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज यहां राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के 45वें सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस सम्मेलन में 26 राज्यपाल और तीन उप-राज्यपाल भाग ले रहे हैं।
राज्यपालों के दो-दिवसीय सम्मेलन के एजेंडे में बाहरी और आंतरिक सुरक्षा का वातावरण, अनुसूचित क्षेत्रों और पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास संबंधी मुद्दे, उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना और आपदा प्रबंधन को अधिक प्रभावकारी बनाना शामिल है।

सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यपालों की भूमिका राज्यों और केन्द्र के बीच एक सेतु के रूप में है। राज्यपालों को यह सुनिश्चित करना है कि राज्य के हितों की सुरक्षा करते हुए राज्य सरकारें संविधान के अनुसार काम करे। उन्होंने कहा कि किसी राज्यपाल की यह एक मात्र जिम्मेदारी है कि वे राज्य में केन्द्र का प्रतिनिधित्व करें और केन्द्र में राज्य का प्रतिनिधित्व करें। राष्ट्रपति महोदय ने राज्यपालों का आह्वान करते हुए कहा कि वे सतर्क रहें और यह सुनिश्चित करें कि 16वीं लोकसभा के लिए होने वाला आगामी आम चुनाव शांतिपूर्ण हो और जनता के विचार की स्वतंत्र अभिव्यक्ति के प्रति सकारात्मक हो। राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यपालों को निश्चित तौर पर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे राष्ट्र का बहुलवादी चरित्र किसी भी रूप में धूमिल न हो।
सम्मेलन में जिन गणमान्य लोगों में भाग लिया उनमें उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केन्द्रीय रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री, गृह मंत्री, विधि और न्याय मंत्री, जनजातीय कार्य मंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) शामिल हैं।
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