राष्‍ट्रपति ने पेड न्‍यूज और अन्‍य बाजारी नीति के जरिए राजस्‍व बढ़ाने की नीति को दुखद बताया, मीडिया को इनसे ऊपर उठकर सार्वजनिक जीवन में शुद्धता के लिए अहम भूमिका निभाने का आह्वान किया।

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बीजेएनएन व्यूरोम नई दिल्ली ,27 फरऴरी

राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने इंडियन न्‍यूज पेपर सोसाइटी के प्‍लेटिनम जयंती समारोह के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि भारतीय समाचार पत्र समूह ने 75 वर्ष पूर्व अपनी स्‍थापना के बाद से लगातार कई चुनौतियों का सामना किया है और आई एन एस के सदस्‍यों ने स्‍वतंत्र प्रेस को आगे बढ़ाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई जो लोकतंत्र का एक अहम अंग है। उन्‍होंने कहा कि इस संगठन के प्रयासों से ही प्रेस ट्रस्‍ट ऑफ इंडिया और ऑडिट ब्‍यूरो ऑफ सरकुलेशन का गठन हुआ। राष्‍ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में मीडिया की बहुलता की जड़े स्‍वतंत्रता संग्राम से ही हैं। भारत में प्रेस सरकार के सरंक्षण के जरिए नहीं बल्कि व्‍यक्तियों की प्रतिबद्धता से विकसित हुआ जिन्‍होंने इसे अपने ऊपर विचारों को थोपे जाने के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्‍तेमाल किया और देशभर में समाज सुधार आंदोलन का मंच निर्मित कर दिया। उन्‍होंने कहा कि यह गर्व का विषय है कि 1780 से भारत को 1947 में आजादी मिलने तक लगभग प्रत्‍येक भारतीय भाषाओं में 120 से अधिक समाचार पत्र और पत्रिकाएं आरंभ की गई। इनमें से प्रत्‍येक प्रकाशन ने लोकतंत्र के आदर्शों को लोगों के घरों तक पहुंचाने का प्रण किया था और स्‍वतंत्रता के संदेश का प्रसार किया।

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अब मीडिया के परिदृश्‍य में परिवर्तन के साथ ही उसकी भूमिका सहायक, संरक्षक और लोकतांत्रिक संस्‍थानों और उनकी प्रक्रियाओं को सक्षम बनाने की हो गई है। हमारी विस्‍तृत, विविध और जीवंत मीडिया एक राष्‍ट्रीय धरोहर है। मीडिया न केवल लोगों को सूचना से अवगत कराता रहता है बल्कि नीति निर्धारण और उसके अमल के क्षेत्र में विचारों और विकल्‍पों के जरिए बहुत ही उपयोगी भूमिका निभाता है। इसलिए अब उसकी भूमिका केवल लोकतंत्र की बातचीत की सूचना देने की ही नहीं है बल्कि वह इस बातचीत में सक्रिय रूप से भाग भी लेता है। यह अत्‍यंत आवश्‍यक है कि मीडिया देश के हाशिए पर पहुंचे लोगों के लिए काम करें। मीडिया संचार के विभिन्‍न उपकरणों का इस्‍तेमाल समावेशी विकास के लिए वातावरण बनाने के लिए कर सकता है और भारत की कहानी सकारात्‍मक, सटीक और एक केंद्रित नजरिए से बयान कर सकता है। लेकिन आज इस बात का भी दुख है कि कुछ पत्र पत्रिकाएं अपने राजस्‍व को बढ़ाने के लिए पेड न्‍यूज और अन्‍य बाजारू नीतियां अपना रहे हैं। ऐसी गलतियों को रोकने के लिए स्‍वं सुधार व्‍यवस्‍था अपनाने की आवश्‍यकता है। हमारी मीडिया के प्रभाव, साख और गुणवत्‍ता से सभी परिचित हैं। समाचार पत्रों को देश के अंत:करण को बनाए रखना होगा। उन्‍होंने कहा कि आधारहीन खबरों के प्रति मोह पर भी काबू पाना होगा, क्‍योंकि देश और अधिक कठिन चुनौतियों को सामना कर रहा है जो ब्रेकिंग न्‍यूज और तुरंत हेडलाइन्‍स देने के दबाव से कहीं बढ़कर है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि अब मीडिया को सार्वजनिक जीवन में शुद्धता लाने के लिए महत्‍वपूर्ण भूमिका निभानी है लेकिन इसके लिए उसे खुद भी बहुत सारी बुराईयों से ऊपर उठना होगा। उसे हमेशा यह ध्‍यान में रखना होगा कि नतीजे के साथ-साथ अपनाए जाने वाला व्‍यवहार भी अहम है। राष्‍ट्रपति ने इसके लिए आईएनएस और इसके सभी सदस्‍यों को उत्‍तरदायी पत्रकारिता का मशाल थामे रखने को कहा और उनसे हमेशा न्‍याय और समानता की आगाज तथा आशा और तर्क का प्रवक्‍ता बनने का आह्वान किया।

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