
रांची।

धान खरीद को लेकर एक समीक्षा बैठक आज मंत्री सरयू राय के कार्यालय कक्ष में हुई. इस बैठक में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त सचिव आलोक कुमार त्रिवेदी, भारतीय खाद्य निगम के महाप्रबंधक, नाकॉफ, एनसीएमएल तथा झारखंड राज्य खाद्य निगम के प्रतिनिधिगण आदि उपस्थित थे।
गौरतलब है कि धान खरीद को लेकर मंत्री राय ने 17 तथा 22 फरवरी को दो पत्र लिखे थे जिनमें धान खरीद की गति पर सुस्ती पर चिंता व्यक्त की गई थी. आज की बैठक इसी आधार पर बुलाई गई थी. बैठक में पाया गया कि धान खरीद की रफ्तार काफी धीमी है. इस वर्ष धान खरीद का लक्ष्य 40 लाख क्विंटल है जबकि अब तक 15500 किसानों से कुल 5 लाख 90 हजार क्विंटल धान की खरीद की गई है. यह पिछले साल खरीदे गए धान का लगभग आधा है. धान खरीद में सुस्ती से नाराज मंत्री ने खरीद एजेंसियों से कम खरीद का कारण पूछा. उनके जवाब से असंतुष्ट मंत्री ने चेतावनी दी कि यदि स्थिति में सुधार नहीं किया गया तो इस मामले की जांच निगरानी विभाग को सौंप दी जाएगी.
बैठक में पाया गया कि पिछले साल एफसीआई ने जिन इलाकों में धान खरीदा था, उन इलाकों में भी धान खरीद की गति पिछले वर्ष से काफी कम है. उत्तरी छोटानागपुर एवं संथाल परगना प्रमंडल में जहां नाकॉफ धान की खरीद कर रहा है वहां किसानों को धान की कीमत मिलने में काफी विलंब हो रहा है. नाकॉफ का कहना है एफसीआई से समय पर पैसा नहीं मिलता, जबकि राज्य सरकार ने बोनस की राशि (160 रुपए प्रति क्विंटल) पहले ही रिलीज कर दी है. खरीद एजेंसियों का कहना था कि चावल मिलें भी सहयोग नहीं करतीं. उनके द्वारा धान का उठाव नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण अनेक जगह पर खासकर पलामू प्रमंडल में खरीद थम गई है. इस पर मंत्री ने सचिव को निर्देश दिया कि आगामी एक मार्च को सभी चावल मिल मालिकों की एक बैठक बुलाएं और उनसे कारण पूछा जाए कि एक ओर तो वे सरकार द्वारा खरीदा गया धान नहीं उठा रहे हैं वहीं दूसरी ओर किसानों से कम कीमत पर धान खरीद कर उसके चावल का व्यापार कर रहे हैं और निर्यात कर रहे हैं. इसका उद्देश्य यह है कि धान का मूल्य बाजार में बढ़े नहीं और किसानॉन का धान सरकारी खरीद केंद्रों के बदले बिचौलियों के जरिए चावल मिलों तक पहुंच जाए. मंत्री ने सचिव को कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला के सभी उपायुक्तों को निर्देश दें कि सरकारी खरीद केंद्रों के गोदामों पर जमा धान को चावल मिलों से शीघ्र उठावायें.
दो सप्ताह पहले मंत्री ने निर्देश दिया था कि धान खरीद को एसएमएस आश्रित नहीं बनाया जाए. यदि किसान बिना एसएमएस के खरीद केंद्रों पर पहुंचता है तो वहां उसे उसी समय एसएमएस कर धान खरीद लिया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि एफसीआई तैयार है तो मिल मालिकों से अग्रिम चावल लेने की व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया जाए. इस पर एफसीआई के जीएम सहमत हुए. बैठक के दौरान सभी जिला आपूर्ति पदाधिकारियों को निर्देश जारी किया गया कि जो पंजीकृत किसान अभी तक अभी तक धान बेचने नहीं आए हैं, उन्हें अपने कार्यालय से फोन कर सूचना दें और नहीं आने का कारण पूछें.