
रांची।
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि आने वाले कल को जिस चीज की सबसे ज्यादा तलाश है वो है हिंदुत्व का भाव। हिंदुत्व के भाव को संसार में कैसे बैठा सकते हैं इस पर मनन की जरुरत है।

योगानंद जी ने वर्षो पहले हिंदुत्व का प्रतिनिधत्व किया था। भारत के राष्ट्र जीवन का आधार आध्यात्म है। भारत की संस्कृति बेजोड़ है। भारत धरती माँ है और हम उसके संतान एवं पूरा विश्व भाई। वे बुधवार को योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के शताब्दी समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे. श्री दास ने कहा कि योगदा का उद्देश्य है ध्यान योग और विज्ञान की शिक्षा प्रदान करना। भारतीय संस्कृति में शिक्षा वही है जो हमें कट्टरपंथ से विमुक्त करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन राज्य के लिए ऐतिहासिक है। आज से 100 साल पहले रांची में स्थापित आश्रम का शताब्दी समारोह है। मानवता के लिए, राष्ट्र के लिए, समाज के लिए जो सेवा आश्रम ने किया है उसके मूल्यांकन का भी अवसर है| श्री दास ने कहा कि भारत आध्यात्मिक देश है। आधुनिक युग में व्यक्ति आत्मिक सुख को छोड़ रहा है| आज सभी को भौतिक और आध्यात्मिक सुख की जरुरत है। आज के दिन पैसे कमाने की चाहत में कई शारीरिक समस्यायें उत्पन्न हो रही हैं| योगदानंद ने जो हमें दिया है, आज पूरे विश्व को उसकी जरुरत है।
योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के सचिव स्वामी स्मरणानंद ने कहा कि संसार में कई ऐसे अवतारों ने जन्म लिया जिनके जीवन का मकसद बुराई को ख़त्म करना और लोगों को उनके जीवन का उद्देश्य बताना था। योगदा सत्संग आश्रम के परमहंस योगदा नन्द जी एक बेहतर साहित्यकार, कवि, आर्गेनाइजर और योग गुरु थे । उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक की विश्व भर में कई भाषाओँ में अनुवाद किया गया है। स्वामी स्मरणानंद ने कहा कि योग हमें हमारे धर्म से जोड़ने का काम करता है। योग साधना हर व्यक्ति के लिए है। इससे इंसान अपने जीवन के उद्देश्य को पहचान और भगवान का अनुभव योग से कर सकता है। हमें योग को अपने जीवन में उतारना चाहिए। योगदा नन्द जी महाराज ने हमें जीने का तरीका सिखाया है। 7 मार्च को योगदा सत्संग आश्रम के सम्मान में माननीय प्रधानमंत्री ने डाक टिकट जारी किया है। 100 सालों से योगदा सत्संग लोगों को योग साधना सिखा रही है।
दक्षिणेश्वर आश्रम से आये स्वामी श्रद्धानंद जी ने श्री मातृ मृणाली माता का संदेश पढ़ कर सुनाया- मंगलमय शताब्दी वर्ष के लिए ईश्वर का आशीर्वाद सभी को देती हूं और अपने गुरु को सम्मान देने के लिए आत्मिक रुप से सब के साथ हूं। योगदा सत्संग को एक छोटे से स्कूल से पूरे विश्व में एक बड़े संस्था के रूप में बदलते देखा है। परमहंस योगदा नन्द जी सभी भारतीय को अपना दिव्य प्रेम बरसा रहें हैं। एक नवीन युग की शुरुवात करने वाले धर्म गुरु हैं योगदा नन्द। आधुनिक युग के लिए पवित्र क्रियायोग साधना हमारे योगदा नन्द गुरु जी ने दिया है। संस्था का उद्देश्य है कि सभी को ऐसा मार्ग दिखाना जिससे वे भगवान् का अनुभव कर सके। लेकिन जरुरी है सही प्रक्रिया से योग साधना को करना ।
शताब्दी समारोह में सभी को 10 मिनट का ध्यान कराया गया । इस असवर पर मेयर श्रीमती आशा लकड़ा, स्वामी शुद्धानंद गिरि, कोषाध्यक्ष, योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इंडिया, स्वामी ईश्वरानन्द गिरि व अन्य मौजूद थे.
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के बाद रिम्स और बीआईटी मेहरा के कुछ छात्रों को योगदा सत्संग से मिलने वाली छात्रवृति प्रदान की.
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