रांची। राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री सह दामोदर बचाओ आंदोलन के प्रणेता सरयू राय की अध्यक्षता में एक बैठक आज डोरंडा स्थित उनके आवास में हुई. इन बैठक में आगामी मई माह में आयोजित होनेवाले दामोदर महोत्सव तथा 29 मई से 5 जून तक आड्रे हाउस रांची के परिसर में आयोजित होनेवाले पर्यावरण मेला की तैयारियों के संबंध में विचार विमर्श किया गया तथा राज्य भर से जुटे पर्यावरण कार्यकर्ताओं के विचार तथा सुझाव लिये गये. बैठक में मंत्री ने बताया कि हाल ही में आज ही दिल्ली के तीन दिनों के प्रवास से लौटे हैं. वहां उन्होंने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री, भारी उद्योग मंत्री, खनन मंत्री समेत कई मंत्रियों से मुलकात की और दामोदर को औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त करने का दामोदर बचाओ आंदोलन के प्रयासों से उन्हें अवगत कराया. श्री राय ने बताया कि बोकारो स्टील लि. द्वारा मई माह के पहले सप्ताह तक दामोदर नदी में गिराये जानेवाले दूसरे नाले कद भी बंद कर दिया जायेगा. इसके बाद दामोदर पूरी तरह प्रदूषण मुक्त हो जायेगा. उन्होंने पर्यावरण मेला की जानकारी भी कार्यकर्ताओं को दी. बैठक में जानेमाने फिल्मकार मेघनाद तथा चर्चित पेंटर हरेन ठाकुर ने भी अपने अनुभव तथा सुझाव साझा किये.
बैठक में मनोज सिंह, डॉ एमके जमुआर, अंशुल शरण, आनंद कुमार, आशीष शीतल, प्रवीण सिंह, गोविंद मेवाड़, अरुण राय, सुरेंद्र सिन्हा, आनंद झा, राधेश्याम अग्रवाल, तपेश्वर केशरी सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे.
क्या है दामोदर महोत्सव
वर्ष 2006 में गंगा दशहरा के दिन दामोदर महोत्सव की शुरूआत दामोदर बचाओ आंदोलन के तत्वावधान में हुई. सरयू राय के नेतृत्व में दामोदर बचाओ आंदोलन ने 2004 में इसी दिन देवनद दामोदर को प्रदूषणमुक्त करने के लिये देवनद के उद्गम स्थल चूल्हापानी से कोलकाता तक एक अध्ययन सह जनजागरण यात्रा अभियान आरंभ किया था. नदी के तटवर्ती क्षेत्र के जनसमूहों को अभियान से जोड़ने, उन्हें दामोदर की स्थिति से अवगत कराने, लोक-संस्कृति एवं दामोदर के संबंध में प्रचलित लोक-कथाओं की जानकारी करने तथा दामोदर के पौराणिक, धार्मिक एवं उपयोगी पहलुओं के माध्यम से जनजागरण करना और अभियान के पक्ष में जनसमर्थन जुटाना दामोदर महोत्सव के आयोजन का मुख्य उद्देश्य है.
दो दर्जन स्थानों पर मनता है महोत्सव
विदित है कि गंगा दशहरा के पवित्र पर्व पर दामोदर के किनारे इसके उद्गम स्थल चुल्हापानी से झारखंड मे इसके अंतिम बिंदु पंचेत जलाशय तक करीब दो दर्जन स्थानों पर एक साथ दामोदर महोत्सव मनाया जाता है. लोग नदी किनारे एकत्र होकर दामोदर को प्रदूषणमुक्त करने का संकल्प लेते हैं, नद का पारंपरिक पूजन करते हैं. दामोदर के महत्व, इसकी पूर्व एवं वर्तमान स्थिति के संबंध में संगोष्ठी, वार्ता, सांस्कृतिक कार्यक्रम, रैली,वृक्षारोपण आदि विविध कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. यह सिलसिला विगत 12 वर्षों से निर्बाध चला आ रहा है. दामोदर जल की गुणवत्ता मे इस बीच काफी सुधार हुआ है और जनमानस के बीच पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागृति उत्पन्न हुई है. दामोदर को प्रदूषण मुक्त करने के अभियान को व्यापक जनसमर्थन मिला है तो इसका बड़ा श्रेय दामोदर महोत्सव को है. इस वर्ष गंगा दशहरा 24 मई को है
औद्योगिक प्रदूषण से मिली मुक्ति
12 वर्ष पूर्व दामोदर बचाओ आंदोलन आरंभ होने के समय दुनिया की आधा दर्जन सर्वाधिक प्रदूषित नदियों मे शुमार होनेवाला देवनद दामोदर आज औद्योगिक प्रदूषण से करीब करीब मुक्त हो चुका है. इसके किनारे खड़े दो दर्जन से अधिक औद्योगिक समूहों एवं आर्थिक गतिविधियों ने अपना दूषित बहिस्राव सीधे नदी में गिराना बंद कर दिया है. इसका श्रेय भी दामोदर महोत्सव और समय समय पर आयोजित कार्यक्रमों, इससे जुड़े जनसमूहों और विशेषकर दामोदर महोत्सव और दामोदर बचाओ आंदोलन को जाता है.
Comments are closed.