
अजीत कुमार , जामताड़ा,07 जनवरी
साक्षरता के नाम पर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाने का मामला प्रकाश में आया है। जिला साक्षरता समिति की ओर से लाखो रुपए के किताबो और पाठ्य सामग्री की खरीदारी की गई लेकिन उसका लाभ न तो निरक्षरों को मिला और न हीं उसका सदुपयोग किया गया है। आलम यह है कि लाखों रुपए के किताब साक्षरता कार्यलय के गोदाम में सड़ रहे है। इसकी फिक्र न तो सरकार को है और न हीं विभाग को। कहने को जिला साक्षरता समिति की गठन निरक्षरों को साक्षर बनाने के उद्देश्य से हुआ था लेकिन यह समित सिर्फ कार्यालय के बाहर नेम प्लेट तक हीं सिमित रह गया है। किसी ने जरुरी नही समझा कि सरकारी पैसे का उपयोग किस प्रकार हुआ इसकी जानकारी ली जाए। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लगभग 80 लाख रुपए के पठन सामग्री की खरीदारी की गई थी। वास्तविकता यह है कि किताबें कितने की खरीदी गई इसकी जानकारी किसी को नही है। सर्व शिक्षा अीायान ाया्रलय को यह तक पता नही है कि जिला साक्षरता समिति में कितने और कौन कौन सदस्य है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम के प्रति कितना गंभीर है।

जामताड़ा के निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए सरकार की ओर साक्षरता कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। जिसके तहत वैसे लोगों के बीच किताबों और पाठ्य सामग्री का वितरण किया जाना था। साथ हीं उन लोगों को साक्षर बनाने की योजना भी थी। लेकिन किताबें जो गोदाम में पहुंची वह आज तक बाहर नही निकला। ऐसे में सहज हीं अंदाजा लगाया जा सकता है कि कार्यक्रम के प्रति जिम्मेदार लोग किस हद तक संवेदनशील होंगे। न तो विभाग ने जरुरी समझा कि कार्यक्रम की जानकारी ली जाए और न जिला प्रशासन इसकी ओर गंभीरता दिखाई। अलबत्ता सरकार भी भूल गई कि साक्षरता के लिए जिलें को मोटी राशि दी गई थी उसका उपयोग किया गया या नही। बरहहाल इससे इतना तो स्पष्ट हो गया कि सरकारी कार्यक्रम को लेकर विभाग, जिला प्रशासन और सरकार में बैठे लोग कितने गंभीर है। किताब को लेकर अब लोगों में चर्चा का बाजार गर्म होने लगा है। मामले की गंभीरता से जांच की जाए तो बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है।
रिपोर्ट : अजीत कुमार
जामताड़ा
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