
– नाइकी हड़ाम के पूजहर ने पांच चूजों की बलि दे की सोहराय पर्व की शुरुआत
– आदिवासी जुबान क्लब के सदस्यों की हुई उपस्थिति

फोटो : जामताड़ा नाइकी हड़ाम के पूजहर पूजा कराते.
अजीत कुमार , जामताड़ा.06 जनवरी
संथालपरगना के जनजातियों में पांच दिवसीय सोहराय या वंदना पर्व को लेकर विशेष उत्सुकता नहीं देखी जा रही है। हाल के दिनों में असम में कुछ आदिवासियों की हुई जघन्य हत्या को लेकर इस बार जामताड़ा में सोहराय तामझाम से नहीं मनाया जा रहा है। नगाड़े व मांदर के थाप व लोकगायन के साथ महिलाओं, युवतियों की समूह नृत्य भी नहीं देखने को मिल रहे हैं। इस बार सोहराय (वंदना) पर्व पारंपरिक प्रक्रिया का निर्वहन करते हुए मातमी तरीके से मनाया जा रहा है। मंगलवार को नगर भवन परिसर में आदिवासी जुबान क्लब (आइसेक) जामताड़ा के सदस्यों ने सामाजिक परंपरा निर्वहन को समझते हुए असम में कुछ आदिवासियों के नरसंहार को लेकर मातमी तरीके से गौट पूजा की। नाइकी हड़ाम के पूजहर रवींद्र हेम्ब्रम ने खुले मैदान में पांच चूजे (मुर्गी के बच्चे) की बलि देकर बगैर तामझाम के पूजा की शुरुआत की। यह सोहराय पर्व पांच दिनों तक मनाया जाता है। बता दें कि पहले दिन की पूजा को औम म्हां, दूसरे दिन की पूजा को बोगानम्हां, तीसरे दिन की पूजा को खूंटाम्हान, चौथे दिन की पूजा को जिलीम्हां (मछली की व्यवस्था) व पांचवें दिन की पूजा मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाएगा। पूजा के अवसर पर आदिवासी जुबान क्लब के सदस्यों में से मुखिया पंचानंद सोरेन, बलदेव मरांडी, दिलीप मरांडी, बलदेव मुर्मू, सुखदेव मुर्मू, दिवाकर हेम्ब्रम समेत कई सदस्यों की उपस्थिति हुई।