जमशेदपुर-बस्ती बचाओ समिति का उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन

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जमशेदपुर। चंडीनगर-छायानगर में संभावित प्रशासनिक कार्रवाई का विरोध और मालिकाना हक की मांग को लेकर बस्ती बचाओ समिति के बैनर तले शुक्रवार को सैकड़ों की संख्या में बस्तीवासियों द्धारा छायानागर बस्ती से पैदल मार्च निकाल कर उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया। बस्तीवासियों द्धारा मालिकाना हक की मांग को लेकर राज्यपाल के नाम डीडीसी को ज्ञापन सौंपा गया। मौके पर युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश साहू भी अपने समर्थकों के साथ मौजूद थे।

इस सबंध में ज्ञापन सौपने के पूर्व बस्ती विकास समिति के संरक्षक अभय सिंह ने कहा कि  जमशेदपुर में 115 से अधिक बस्तियों विगत 40 वर्षों से बसी हुई है 20 अगस्त 2005 में टाटा स्टील एवं तत्कालीन झारखंड सरकार के Tata लीज इकरारनामा में यह सभी बस्तियों को लीज से बाहर नहीं किया गया। इससे कहीं ना कहीं सरकार की मंशा में संदेह पैदा होता है वर्तमान मुख्यमंत्री  रघुवर दास के विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत यह सारी बस्तियां आती हैं पर आज यह सारी बस्तियां Tata बीज के अंदर है। उन्होने कहा कि जिला प्रशासन के द्रारा आए दिन किसी न किसी बहाने चंडी नगर एवं छाया नगर की बस्तियों को तोड़ने की बातें होती आ रही है अभी यहां बस स्टैंड की बनाने की बातें तो कभी सोलर लाइट प्लांट बनने की तो कभी टाटा स्टील द्वारा यह जमीन को अपने उपयोग करने की बातें आती हैं। जिसकी वजह से यहां के लोग हर रोज भय की स्थिति में जी रहे हैं।उन्होने मुख्यमंत्री मे कई गंभीर आरोप लगाये। उन्होने कहा कि सरकार शहर के 86 नही 115 बस्तियो के जमीन का मालिकाना हक दे नही बस्ती वासी सड़क पर उतर कर अंदोलन करने को बाध्य हो जाएगे।

इस मौके पर कांग्रेस नेता राकेश साहू ने कहा कि सरकार की मंशा बस्तियों को उजाड़ने की है, यही कारण है कि ये बस्तियां आज भी टाटा लीज के अंतर्गत है। 20 अगस्त 2005 को टाटा लीज एकरनामा में तत्कालीन नगर विकास मंत्री व वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास की क्या मजबूरी थी कि छायानगर, चंडीनगर, कल्याणनगर, कान्हु भट्ठा, लाल भट्ठा, बाबूडीह, नंदनगर का कुछ भाग, शांतिनगर, इंद्रानगर की बस्तियों को टाटा लीज से क्यों नहीं बाहर किया गया। कांग्रेस नेता के अनुसार मुख्यमंत्री ने समय-समय पर अपना बयान बदला है, कभी मालिकाना हक, कभी लीज बंदोबस्ती तो कभी यह हमारा मुद्दा नहीं था, की बात कही हैं, जो जनता के साथ घोखा हैं। सरकार यह बताये कि किस हैसियत से टाटा स्टील उस जमीन पर केस लड़ रही है। सरकार यह भी बताये कि इस जमीन को रिलीज क्यों नहीं किया गया। मालिकाना हक या लीज बंदोबस्ती का इतना बड़ा ड्रामा सरकार ने क्यों किया। इस जमीन पर सुप्रीम कोर्ट का आज का निर्णय क्या है सरकार जवाब दें। सरकार केवल 2019 में होने वाले लोस एवं विस चुनाव तक रूकी हुई है और उसके बाद अपने मकसद के लिए गरीबों को उजाड़ेगी।

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