जमशेदपुर, 27 मई, 2015: टाटा स्टील की संस्था ट्राईबल कल्चरल सोसायटी (टीसीएस) ट्राईबल रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग रिसर्च सेंटर, चाईबासा, एग्रीकल्चर ट्रेनिंग सेंटर (एटीसी) नामकुम, सेंट जॉन स्कूल, तमाड़ एवं कार्मेल स्कूल, चक्रधरपुर के सहयोग से मैट्रिक की परीक्षा में फेल हो चुके विद्यार्थियों की मदद के लिए आठ महीनों की विशेष कोचिंग की व्यवस्था करती है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य है एससी/एसटी समुदायों के वंचित विद्यार्थियों को मैट्रिक की परीक्षा पास करने एवं शिक्षा की मुख्य धारा से दोबारा जुड़ने में उनकी मदद करना। इस कोचिंग प्रोग्राम में शामिल सभी विद्यार्थियों पर होनेवाले सारे खर्च को टाटा स्टील वहन करती है।
इस कार्यक्रम की मदद से मैट्रिक की परीक्षा में इससे पूर्व फेल होने की वजह से पढ़ाई छोड़ चुके कुल 135 विद्यार्थियों ने झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जेएसी) द्वारा संचालित 10 वीं की बोर्ड परीक्षा दोबारा दी और सफलता हासिल की। ये सभी विद्यार्थी झारखंड के पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम एवं सरायकेला-खरसवाँ जिलों के निवासी हैं। इस प्रकार, इस कोचिंग कार्यक्रम में शामिल होनेवाले तकरीबन 70 प्रतिशत विद्यार्थियों ने वर्ष 2015 में आयोजित कक्षा 10 वीं की बोर्ड परीक्षा में कामयाबी हासिल की है।
ये सभी विद्यार्थी अब आगे की पढ़ाई जारी रखने की तैयारी में जुटे हुए हैं। कोचिंग से लाभान्वित हो चुके 135 विद्यार्थियों में से एक सुश्री एंजेला बोदरा का कहना है, “शिक्षा के जरिए ही हम अच्छी नौकरी पा सकते हैं और अपने परिवारों का भरण–पोषण कर सकते हैं। परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन के लिए सही मार्गदर्शन काफी महत्वपूर्ण होता है। टीसीएस द्वारा प्रायोजित कोचिंग कार्यक्रम में शामिल होने के बाद हमने मार्गदर्शन की अहमियत को महसूस किया।”
अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ चुके विद्यार्थियों को दोबारा पढ़ाई शुरू करने हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ट्राईबल कल्चरल सोसायटी जुलाई 2013 से ही इस आवासीय कोचिंग कार्यक्रम का संचालन करती आ रही है। आठ
माह के इस कोचिंग प्रोग्राम के जरिए पढ़ाई बीच में छोड़ चुके एसएसी/एसटी समुदायों के वंचित विद्यार्थियों को मैट्रिक की परीक्षा की तैयारी करने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है और उन्हें शैक्षणिक मार्गदर्शन दिया जाता है ताकि वे शिक्षा की मुख्यधारा में दोबारा शामिल हो सकें। आम तौर पर यह देखा जाता है कि वित्तीय परेशानियों की वजह से और उचित मार्गदर्शन के अभाव में विद्यार्थी अपनी पढ़ाई बीच में हो छोड़ देने और अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए छोटे-मोटे काम से जुड़ने को विवश हो जाते हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य है ऐसे विद्यार्थियों को पढ़ाई जारी रखने हेतु उनकी मदद करना।