जमशेदपुर।
उत्क्रमित मध्य विद्यालय, टांगराईन के 10 विद्यार्थियों ने भी आज अपने प्रधानाध्यापक अरबिंद तिवारी के नेतृत्व में भारत स्काउट्स ऐंड गाइड्स द्वारा आयोजित दलमा ट्रेकिंग अभियान में पूरे उत्साह के साथ भाग लिया। दलमा ट्रेकिंग अभियान का आयोजन भारत स्काउट्स ऐंड गाइड की ओर से किया गया था, जिसमें करीब नौ विद्यालयों के लगभग दो सौ बच्चे एवं शिक्षक शामिल हुए। पोटका से एकमात्र सरकारी विद्यालय उत्क्रमित मध्य विद्यालय टांगराईन के बच्चे इसमें शामिल हुए।
भारत स्काउट्स ऐंड गाइड के जिला सचिव श्री मनोज यादव एवं जिला संगठन सचिव नरेश कुमार ने विशेष रूप से पहल करते हुए उत्क्रमित मध्य विद्यालय, टांगराईन के 10 विद्यार्थियों को भी इस ट्रेकिंग अभियान में शामिल होने का विशेष अवसर दिया।
इन बच्चों के प्रवेश शुल्क का प्राजोजन भारत स्काउट्स ऐंड गाइड के जिल सचिव एवं पूर्ण रणजी खिलाड़ी श्री मनोज यादव के सौजन्य से किया गया।
उ.म. विद्यालय, टांगराईन के इन 10 विद्यार्थियों के साथ विद्यालय के प्रधानाध्यापक अरबिंद तिवारी भी इन बच्चों के साथ इस ट्रेकिंग अभियान में शामिल हुए।
पूरी ट्रेकिंग का नेतृत्व जिला संगठन सचिव नरेश कुमार कर रहे थे। उनके साथ ट्रेनिंग को-ऑर्डिनेटर नीरज शुक्ला सहित सभी नौ स्कूलों के शिक्षक शामिल थे। टांगराईन स्कूल से विद्यालय प्रबंधन समिति के पूर्व अध्यक्ष उज्ज्वल मंडल भी शामिल थे।
उ.म.वि. टागंराईन के प्रधानाध्यापक अरविंद तिवारी ने जिला सचिव मनोज यादव एवं जिला संगठन सचिव नरेश कुमार के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने सरकारी स्कूल के बच्चों को भी इस अभियान में भाग लेने का अवसर प्रदान कर उन्हें अन्य बच्चों के समान अवसर दिये।
दलमा ट्रेकिंग का आरंभ चांडिल थाना प्रभारी के संबोधन के साथ हुआ। उन्होंने कैडेट का मनोबल बढ़ाते हे कहा कि हारना नहीं है, लक्ष्य तक खुद भी पहुँचना है और साथियों को भी साथ देकर पहुँचाना है।
बच्चों के साथ चांडिल थाने के दक्ष जवान भी शामिल थे।शहर के अन्य विद्यालयों के बच्चों के साथ मिलकर ट्रेकिंग अभियान में शामिल होने का अवसर पाकर टांगराईन स्कूल के बच्चे काफी रोमांचित थे। उन्होंने बाद में बताया कि उन्हें इस अभियान में शामिल होकर काफी खुशी महसूस हुई और पहली बार यह लगा कि वे भी शहरी बच्चों से कुछ ज्यादा अलग नहीं हैं।प्रकृति से अल्पभाषी टांगराईन स्कूल बच्चों ने अपनी खुशी इस अभियान में पूरे उत्साह के साथ शिरकत कर जतायी। अभियान खत्म होने तक उनके चेहरे पर थकावट का नामोंनिशान तक न था।अब वे इंतजार कर रहे हैं ऐसे ही अन्य अवसर का। उन्हें उम्मीद है कि उन्हें भी ऐसे अभियानों, पहलकदमियों का हिस्सा बनने का अवसर दोबारा मिलेगा।
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