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-क्षमता वाले इस संयंत्र में पहले चरण के तहत फ्लैट, हल्के और हाई टेंसिल मजबूत स्टील का होगा उत्पादन, साथ ही टाटा स्टील का भारत में उत्पादन क्षमता बढ़कर होगी 13 मिलियन टन सालाना
कलिंगनगर, 18 नवंबर, ।
टाटा स्टील आज एक नए अध्याय की ओर कदम बढ़ाते हुए अपने कलिंगनगर स्टील संयंत्र को ओडिशा राज्य को समर्पित करने जा रही है। टाटा स्टील के लंबे सफर में कंपनी ने अपनी सतत रणनीतियों को कई तरीके से पुनर्परिभाशित किया है और मूल्य सृजन और कॉरपोरेट सिटीजनशिप में वैश्विक स्टील उद्योग में बेंचमार्क कायम किया है। टाटा स्टील का कलिंगनगर स्टील संयंत्र देश में उत्कृश्ट परिधान के लिए प्रौद्योगिकी और प्रदर्शन के अन्य मानदंडों में उच्च बेंचमार्क स्थापित करेगा और हितधारकों के मूल्यों में संवर्धन की संपूर्ण प्रतिबद्धता को भी सुनिश्चित करेगा।
कलिंगनगर स्टील संयंत्र भारत की सबसे बड़ी एकीकृत ग्रीनफील्ड परियोजना है। 6 मिलियन टन सालाना उत्पादन क्षमता (6 डदज्च्।) वाले इस संयंत्र से पहले चरण में में विष्व-स्तरीय चैड़े, हल्के, हाई-टेंसिल मजबूत स्टील का उत्पादन किया जाएगा। टाटा स्टील अपने भारतीय परिचालन को बढ़ाकर 13 मिलियन टन सालाना क्रूड इस्पात का उत्पादन करेगी और अब अपने उच्च-स्तरीय चैड़े उत्पादों के पोर्टफोलियो का भी विस्तार करेगी, जिसका इस्तेमाल जहाज निर्माण, रक्षा उपकरण, ऊर्जा और बिजली, बुुनियादी ढांचा निर्माण, विमानन और लिफ्टिंग एवं उत्खनन में किया जाता है। यह विस्तार टाटा स्टील के घरेलू वाहन सेगमेंट में नेतृत्वकारी स्थिति को सुदृढ़ बनाएगी।
इस अत्याधुनिक स्टील संयंत्र को ओडिषा के माननीय मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक द्वारा राज्य को समर्पित किया गया। इस मौके पर टाटा सन्स के चेयरमैन श्री साइरस पी मिस्त्री, टाटा स्टील इंडिया एवं एसईए के प्रबंध निदेशक टी. वी. नरेंद्रन, टाटा स्टील के समूह कार्यकारी निदेशक (वित्त एवं कॉरपोरेट) कौशीक चटर्जी, ओडिशा सरकार के माननीय पदाधिकारियों, टाटा समूह के प्रतिश्ठित अतिथियों और टाटा स्टील के वरिष्ट प्रबंधन भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर श्री मिस्त्री ने कहा, ‘‘कलिंगनगर स्टील संयंत्र ओडिशा, टाटा समूह और टाटा स्टील की वृद्धि और विकास की एक और यात्रा है। इस संयंत्र को आज ओडिशा को समर्पित करते हुए निष्चित तौर पर बेहद खुशी हो रही है। यह संयंत्र राष्ट्र निर्माण की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता और सतत विकास सुनिष्चित करने के प्रयासों का अहम हिस्सा है। मुझे पूरा भरोसा है कि यह संयंत्र स्टील उत्पादन के क्षेत्र में वैष्विक बेंचमार्क हासिल करेगा और इसके साथ ही हम ओडिशा राज्य की समद्धि और विकास के लिए भी प्रतिबद्ध रहेंगे।’’
अपने संबोधन में श्री नरेंद्रन ने कहा, ‘‘यह हमारे लिए गर्व का क्षण है। कलिंगनगर परियोजना हमारे हिस्सेदारों, कारोबारी हिस्सेदारों और व्यापक रूप से समाज के प्रति हमारी ओर से की गई प्रतिबद्धता का प्रतीक है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं टाटा समूह के, पूर्व के और मौजूदा, पूरे परिवार को धन्यवाद देता हूं, जिनके निरंतर समर्पण और कठिन मेहनत से यह सपना सच हुआ है। हम केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के आभारी हैं, जिन्होंने भरपूर सहयोग दिया और एक स्थल पर बने भारत के सबसे बड़े नए स्टील संयंत्र को तैयार करने में प्रतिबद्धता जताई।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘यद्यपि स्टील क्षेत्र उतार चढ़ाव के दौर से गुजर रहा है, टाटा स्टील ने कठिन समय में भी मजबूत जमीनी पकड़ का लक्ष्य बनाया है। कलिंगनगर परियोजना न केवल भारत के स्टील क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका निभाएगी, बल्कि यह टिकाऊ कारोबारी परियोजना के रूप में काम करेगी, जिसमें समावेशी समाज और पर्यावरण संरक्षण भी अहम होगा। साथ ही यहां से बेहतर गुणवत्ता का स्टील विनिर्माण भी सुनिश्चित होगा।’’
इस मौके पर श्री चटर्जी ने कहा, ‘‘कलिंगनगर परियोजना कंपनी और उसके हिस्सेदारों के लिए टाटा स्टील के भविष्य के विकास और मूल्यों के श्रृजन को दर्शाता है। इस अत्याधुनिक नए उद्यम के निर्माण में निवेश ओडिशा सरकार और यहां के लोगों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी सुदृढ़ करता है। कलिंगनगर संयंत्र प्रतिस्पधात्मकता और मुनाफे के हिसाब से टाटा स्टील की भविष्य की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में वृद्धि करेगा और यह निवेश सरकार के मेक इन इंडिया रणनीति साथ चलने की टाटा स्टील की सोच का प्रतीक है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि इस परियोजना को बनाने का सफर कापफी चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन हम भारत सरकार, ओडिषा सरकार और कलिंगनगर की जनता को इस परियोजना के निर्माण के लिए सतत सहयोग देने के लिए धन्यवाद देता हूं। यह परियोजना सामाजिक पुनर्वास, पिछले एक दषक से भी ज्यादा समय से कलिंगनगर में समुदायों के साथ सामुदाय की जरूरतों को पूरा करने और परियोजना स्थल और उसके आसपास रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए काम करने की दिषा में टाटा स्टील की निरंतर प्रतिबद्धता को भी प्रदर्षित करती है।’’
इस संयंत्र के पहले चरण का विकास करीब 22,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेष से किया गया है और कलिंगनगर संयंत्र में भारत का सबसे बड़ा 4330 घन मीटर का ब्लाॅस्ट फर्नेस है, जिसकी उत्पादन क्षमता 3.2 मिलियन टन सालाना (3ण्2 डदज्च्।) है। इस संयंत्र के लिए ट्विन वैगन टिप्पर से कच्चे माल की सुगम आवाजाही होगी, जिसे भारत में पहली बार लगाया गया है और इसकी अपलोडिंग क्षमता 20 मिलियन टन सालाना है। टाटा स्टील संयंत्र सर्वाधिक उन्नत कार्बन हार्थ प्र्रौद्योगिकी से लैस होगी और इसके साथ ही कोक ओवन और ब्लास्ट फर्नेस से उत्सर्जित गैस से परियोजना स्थल पर ही बिजली का उत्पादन (202 मेगावाट) किया जाएगा।