असाधारण से साधारण—–AA

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AA (लेखनी)

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जब इंसान असाधारण बन जाता है तब साधारण बनने के लिए तरसता है।मौके तलाशता है उस साधारण जीवन को जीने की जो कभी आसानी से जिया करता था।बात अगर सीएम रघुवर दास की करें तो उनको सालों से जानने सालों से ये बखूबी जानते हैं कि बतौर विधायक वे बिल्कुल साधारण तरीके से रहते थे।कोई ताम झाम नहीं।उनके अंगरक्षक उनसे काफी दूर ही रहते थे।बतौर विधायक हवाई चप्पल पहने साधारण से कपडों में अक्सर नजर आनेवाले रघुवर दास बतौर सीएम साधारण बनने का मौका गाहे बगाहे पकड ही लेते हैं।राखी के मौके पर शहर पहुंचे सीएम रघुवर दास आज अचानक साकची बाजार गोलगप्पे खाने पहुंच गए।इतना ही नहीं अपने स्कूल के पुराने प्राचार्य मोतीलाल के साथ चाय भी पी।

असाधारण पद पाने के साथ साथ उसके ताम झाम कहीं न कहीं इंसान के ओहदे को तो बढा देते हैं पर उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन कर बैठते हैं।सीएम रघुवर दास ने कुछ समय पूर्व अपने काफिले की संख्या कम कर दी थी।यानी बतौर विधायक साधारण जिंदगी जीने वाला ये शख्स तामझाम से वास्तव में दूर रहना चाहता है पर हो नहीं पाता और साधारण जीने की एक छोटी सी झलकी आज के मीडिया की सुर्खियां बन जाती है।यानि उस साधारण पल को भी असाधारण बनाने में जुट जाते हैं लोग।बडा विरोधाभास है कि आखिर इंसान चाहता क्या है??असाधारण बनकर साधारण को खोजना या साधारण बना रहना।जब साधारण रहता है तो असाधारण बनने की चाह होती है।चलिए आज की ब्रेकिंग न्यूज है कि सीएम रघुवर दास ने गोलगप्पा खाया।

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