सहरसा-नितिश राज में यहां महुआ शराब बनाने का काम बदस्तुर जारी

83

महुआ शरब बनाने की विधि जान हो जाऐंगें हैरान
गंध से परेशान ग्रामीण ने एसडीओ को लिखित किया शिकायत
सिमरी बख्तियारपुर(सहरसा) से ब्रजेश भारती की विशेष खबर :-
अनुमंडल मुख्यालय से चंद कदमों की दुरी पर बसा है एक टोला जिसका नाम चौधरी टोला के रूप में सभी जानते है। आजकल ये मुहल्ला चौधरी टोला के नाम से कम महुआ टोला के नाम से चर्चित हो रहा है।
थाना से मात्र दो सौ गज की दुरी पर स्थित यह टोला इन दिनों अबैध महुआ शराब बनाने व बेचने मसहुर हो रहा है। जिस वजह से यह टोला नशेड़ियों का अड्डा बन गया है।परंतु फिर भी प्रशासन कान में तेल डाल कर सोया हुआ है।वही इस सम्बन्ध में आसपास के लोग दबी जुबान से बताते है कि महुआ शराब की खुलेआम बिक्री की वजह से ब्लॉक चौक का पूरा इलाका शाम ढलते ही नशेड़ियों के हो – हंगामे से परेशान हो जाता है इसलिए प्रशासन उन पर कठोर करवाई करे ताकि शराबबंदी कानून यहाँ लागू रहें और यहाँ के समाजिक माहौल शांतिपूर्ण रहे।
हलांकि ब्लॉक चौक के पास दक्षिण मोहल्ला निवासी लक्ष्मण सादा ने अनुमण्डल पदाधिकारी सुमन प्रसाद साह को एक लिखित आवेदन दे इस बात की जानकारी दिया है कि उनके घर के आसपास अवैध दारू (महुआ) की चुलाई की जाती है एवं उसका गंदा पानी जिससे भयंकर दुर्गंध आती है का बहाव उनके घर के तरफ होने से उनलोगों का घर में रहना मुश्किल हो गया।इसलिये इस अवैध कार्य से मुहल्ले को मुक्ति दिलाने की मांग की है।
यहाँ यह भी बता दे कि इस टोला के अलावे चौधरी टोला बस्ती, आजाद नगर गंज,सिमरी पंचायत के सिमरी आदि जगहों पर भी महुआ शराब का निर्माण धड़ल्ले से हो रहा है जो चिंताजनक है।
कैसे होता महुआ फल से शराब का निर्माण-
जब से बिहार में शराब बंदी लागू हुआ है पीने बाले अवैध कच्ची शराब के सौकीन हो गये है। उस पर से आसानी से महुआ फल में कुछ कैमिकल का मिश्रण कर आसानी से इसका निर्माण कर बेच रहें हलांकि ये कच्ची शराब सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक होता हैं। इसमें महुआ के साथ- साथ नौसादर व यूरिया मिलाकर इसका निर्माण किया जाता है। साथ ही अत्यधिक नशे के लिए इसमें भारी मात्रा में नींद की गोलियां भी मिलायी जाती है। इस महुआ शराब के निर्माण में कभी अपना सब कुछ लुटा चुके एक व्यक्ति ने नाम नही छापने की शर्त पर बताया कि कच्ची शराब का निर्माण बड़े ही खतरनाक ढंग से किया जाता है। शराब अधिक नशीला हो इसके लिये महुआ के साथ- साथ शराब में अखाद्य पदार्थ भी मिला दिया जाता है।
महुआ शराब बनाने की विधि –
महुआ फल को सबसे पहले पानी में मिलाकर सड़ने के लिये छोड़ दिया जाता है यह सड़ने की प्रक्रिया सात दिनों का हो सकता है लेकिन निर्माता धंधेबाज इतने दिनों तक इंतजार नहीं करते और इसको सड़ाने के लिए उसमें भारी मात्रा में यूरिया व आक्सीटोशिन मिला देते हैं। जिसकी वजह से कुछ घंटों में ही महुआ सड़कर बजबजाने लगता है। फिर उसको आग की भट्ठी पर एक विशेष प्रकार का बने बर्तन में चढ़ा दिया जाता है। बर्तन में लगाई गई नली से भाष्पिकरण के माध्यम से महुआ शराब की बुंद-बुंद पानी टपकने लगता है पांच किलो महुआ में करीब एक लीटर कच्ची शराब बन कर तैयार होता है । यह एक लीटर शराब को उनलोगों की भाषा में “जीरों” कहा जाता है । यह अधिकतर बेचा नही जाता है लोगों का मानना है कि इसमें आग भी लग जाती है यह इतना तिब्र होता है। इस एक लीटर शराब में करीब चार पांच लीटर पानी मिला इसकी मात्रा बढ़ा दिया जाता है फिर नशे की तीव्रता को और अधिक बढ़ाने के लिए तैयार शराब में नींद की गोलियां मिलाई जाती हैं।
नौशादर का होता प्रयोग :-
शराब के निर्माण में नौसादर का भी इस्तेमाल किया जाता है।वही मुनाफा अधिक होने की वजह से कच्ची शराब का यह धंधा फल – फूल रहा है औए सुलभ रूप से उपलब्ध हो रही है।युवा पीढ़ी सहित समाज के हजारों लोग इसके लती होते जा रहे हैं और इसमें मिलाये जाने वाले अखाद्य पदार्थ धीरे- धीरे लोगों को मानसिक व शारीरिक रूप से शरीर को पंगु बना रहे हैं।
क्या कहते है डाक्टर-
डॉक्टर बताते है कि आक्सीटोशन मांसपेशियों को शिथिल कर देता है, इसके लगातार सेवन से शरीर की कार्यक्षमता बुरी तरह से प्रभावित हो जाती है।वही नौसादर का असर आंतों, आमाशय पर पड़ता है।इसके इस्तेमाल से छाले आदि पड़ जाते हैं और यूरिया से सोचने की क्षमता प्रभावित होती है और गुर्दे काम करना कम कर देते हैं।तीनों ही अखाद्य पदार्थ हैं और इनका सेवन इंसान को मौत के मुंहाने पर पहुँचाने के लिए काफी है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More