सहरसा-कहीं डेंगराही अनशन का राजनैतिक करण तो नही हो रहा

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अबतक एक दर्जन नेताओं का हो चुका आगमन पर परिणाम शून्य
फरकिया वासियों की मांग का हो रहा पार्टीकरण
सिमरी बख्तियारपुर(सहरसा)से ब्रजेश भारती की रिपोर्ट :-
राजा टेडरमल के जमाने से लेकर भारत की आजादी के 70 दशक के बाद आजतक कोशी प्रमंडल का एक ईलाका कोसी दियारा क्षेत्र में निवास करने वाली भोली भाली जनता को सभी ने झुनझूना दिखाने का काम किया है जो अभी भी जारी है । वर्षो बाद कोसी दियारा क्षेत्र की जनता ने अपनी मूलभूत सुविधाओं में एक आवागमन के लिये अपनी चट्टानी ऐकता का परिचय दें आवाज उठाने का काम एक अदना सा समाजिक कार्यकर्ता बाबू लाल शौर्य की अगुआई में गत 19 फरवरी से शुरू किया। जब ये अनशन व धरना प्रदर्शन की शुरूआत हुई थी तो किसी ने यह नही सोचा होगा की यह अनशन व धरना इतना लंबा चलेगा (जैसा कलांतर में होता रहा) पर यहां की जनता का अपार समर्थन व अनशनकारीयों के बुलंद हौसलों की वजह से यह पन्द्ररवां दिन भी जारी और उम्मीद है की बिना मांग पुरी होने तक शायद यह चलता रहें।
जिस अनशन व धरना की शुरूआत 19 फरवरी को बाबू लाल शौर्य ने शुरू की वह अनशन जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया अनशन में शामिल होने वालों नाम जुटते चले गयें।दीनानाथ पटेल,सुभाष चन्द्र जोशी आदि के नाम इस लिस्ट में शामिल होते चला गया। इस बीच फरकिया की बुजुर्ग महिलाऐं व पुरूष भी इस कारवां में शामिल हो गाये।
इस 15 दिनों में जो सबसे बड़ी बात हुई की ज्यो-ज्यो अनशन व धरना का कारवां आगे बढ़ता गया बड़े राजनैताओं से लेकर छुटभैये नेताओं का आना और जाना शुरू हो गया। सभी लोग अनशन स्थल पहुंच अपनी बात अनशनकारीयों व धरनार्थीयों के बीच रख पुन: वापस चले आते पर किसी ने फरकिया वासियों के उस दुख को सुलझाने का कोई सार्थक प्रयास नही किया जो आजादी के इतने वर्षों बाद आजतक वे लोग झेल रहें है ।
इसी बीच अनशन में सहरसा जिला के राजनैतिक में अपनी एक अलग पहचान की छाप छौड़ने वाले दो युवा नेता अनशन बाबा के नाम से प्रसिद्ध पूर्व जिप सदस्य सह वर्तमान जिप सदस्य प्रतिनिधि प्रवीण आनंद व पूर्ण जिप उपाध्यक्ष रितेश रंजन का नाम जुट गया। जैसे ही इन दोनों नेताओं का नाम इस अनशनकारीयों की लिस्ट में शामिल हुआ एक नई राजनैतिक की शुरूआत हो गई।
प्रत्यक्ष कहें या फिर अप्रत्यक्ष यह अनशन जो विशुद्ध रूप से फरकिया वासियों की पीड़ा की मांग थी वह कहीं ना कहीं किसी ना किसी रूप में सरकार व विपक्ष के बीच फंसती नजर आ रही है अब देखना बड़ा ही दिलचस्प होगा कि इस अनशन का परिणाम सार्थक होगा या फिर वही राजा टेडरमल व आजादी के सत्तर सालों वाली बात दुहरा दी जायेगी।

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