सरायकेला (चांडिल)
बारिश छुटते ही डायरिया दस्तक दे चुकी हैं. डायरिया से निपटने के लिए प्रशासन की और से कोई ठोस कदम अभी तक नहीं उठाया है. चांडिल प्रखंड के दलमा तराई क्षेत्र के गांव काटजोड़ में डायरिया ने पाव पसार ली है. काटजोड़ गांव के सैकड़ो आदिवासी महिला, पुरुष, बच्चे व बुर्जूग डायरिया से ग्रस्त है. काटजोड़ गांव के ग्रामीण बिगत तीन चार दिनो से डायरिया की चपेट में है. डायरिया कि खबर सुनने की बाद चिलगु पंचायत के मुखिया नरसिंह सरदार गांव का दौरा किया. गांव का दौरा करने के बाद डायरिया संबंधित सुचना चांडिल स्वास्थ केन्द्र को दिया. सुचना मिलने के बाद शनिवार को स्वास्थ विभाग की टीम पूरे दल बल के साथ दलमा तराई क्षेत्र के काटजोड़ गांव पहुंचा. गांव पहुंचने के बाद डा0 स्वेता सोनिका द्वारा सभी मरीजो का बारी बारी से जांच किया गया. जांच के दौरान कुल 11 मरीजो को सेलाईन चढ़ाया गया, जवकि 96 मरीजो को दवा व इंजेक्शन देकर इलाज किया गया. स्वास्थ विभाग की जांच टीम में डाक्टर स्वेता सोनिका, ओमिय प्रसाद सिंह, स्वास्थ निरीक्षक अशोक कुमार पंडित, एएनएम बसंती कुमारी, नुतन लकड़ा, एमपीडब्लु श्रीकांत प्रसाद, काजल महतो, सिवली बेसरा आदि उपस्थित थे.
काटजोड़ गांव में नही है उप स्वास्थ केन्द्र,जमीन पर लेटाकर मरीजो को किया गया इलाज
दलमा तराई क्षेत्र के आदिवासी बहुल क्षेत्र गांव काटजोड़ में कुल 387 परिवार बसवास करते है. काटजोड़ गांव दलमा जंगल के चारो और घिरा हुआ है. गांव में एक भी उप स्वास्थ केन्द्र नहीं है. जिस कारण डायरिया पिड़ित मरिजो को स्कूल के बारंमदा में जमीन पर लेटाकर सेलाईन देकर इलाज किया गया.
ये ये है डायरिया कि चपेट में गंभीर रुप से डायरिया की चपेट में लखीमनी सिंह, अंजना सिंह, दीपक सिंह(29), सुभद्रा सिंह, लाल महोन सिंह, शशीकला सिंह, पंचायत स्वंय सेवक शत्रुघन सिंह (34), विश्वनाथ सिंह (42), गणेश सिंह (4), नाड़ु सिंह (85), पुष्पा सिंह (20), शुकरमनी सिंह, रंजीत सिंह, करुणा सिंह (उपमुखिया) गंभीर रुप से पिड़ित है तथा सैकड़ो ग्रामीण डायरिया की चपेट में है.
कुंआ व चपकाल का पानी पिते है ग्रामीण
दलमा तराई क्षेत्र के काटजोड़ गांव के लगभग ग्रामीण आज भी कुंआ व आयरन निकला हुआ चापाकल का पानी पिने को बिवश है. गांव में शुद्ध पेयजल के लिए सरकार की और से जल मिनार लगाया गया है. जो जल मिनार भ्रष्टाचार का भेट चढ़ गया और महतो तीन महिनो में जल मिनार बंद हो गया. अगर सुचारु रुप से गांव में जल मिनार के माध्यम से पानी सप्लाई होता है आज ये दिन शायद नहीं देखना पड़ता और सैकड़ो ग्रामीण डायरिया की चपेट में नहीं आती.
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